उत्तराखंड के दस पर्वतीय जिलों से बीते नौ माह में 58 हजार से ज्यादा मतदाताओं ने अपने विधानसभा क्षेत्रों से पलायन कर लिया है। निर्वाचन कार्यालय की ओर से नौ महीने में मतदाता बनने, नाम जोड़ने, नाम हटाने, पते में परिवर्तन आदि की गतिविधियों में यह आंकड़ा सामने आया है। विधानसभा की मतदाता सूची से हटने को पता बदलने के साथ ही पहाड़ से पलायन के नजरिये से भी देखा जा रहा है।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी की ओर से जारी आंकड़ों पर गौर करें तो पर्वतीय जिलों से मतदाताओं के दूसरी जगहों पर पलायन की आशंका नजर आ रही है। पांच जनवरी से 30 सितंबर तक प्रदेशभर से मतदाता सूची से कुल एक लाख 69 हजार 529 नाम हटाए गए।
इनमें से 32 हजार 997 नाम ऐसे थे, जिनकी मृत्यु हो चुकी है। 15 हजार 772 नाम ऐसे थे जो कि रिपीट हो रहे थे। एक लाख 20 हजार 760 नाम ऐसे हैं जो कि अपनी विधानसभा से पलायन कर चुके हैं। देहरादून, हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर मैदानी और घनी आबादी वाले जिलों से कुल 62 हजार 658 मतदाताओं ने पलायन किया है, जबकि बाकी दस पर्वतीय जिलों से 58 हजार 102 मतदाताओं ने अपनी विधानसभा से पलायन किया है।
संयुक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी प्रताप शाह ने बताया कि यह आंकड़ा अपनी विधानसभा छोड़कर जाने वालों का है। इनमें एक विधानसभा से दूसरी विधानसभा या पर्वतीय जिलों से मैदानी जिलों या दूसरे राज्यों के पलायन वाले शामिल हो सकते हैं।