भारतीय जनता पार्टी भले ही कांग्रेस पर परिवारवाद का आरोप लगाती हो, खुद भी इसमें पीछे नहीं है। नेता पुत्रों को टिकट देना या नहीं देना, हमेशा से एक बड़ा मुद्दा रहा है। भाजपा के संसदीय बोर्ड के सदस्य सत्यनारायण जटिया ने नेताओं के बेटे-बेटियों को टिकट देने का बचाव किया है। उन्होंने कहा कि नेता का पुत्र होना उनका दोष नहीं है। योग्य नेताओं को टिकट मिलना चाहिए। पार्टी में ऐसी कोई अवधारणा नहीं है। जो योग्य है उसे टिकट मिलना चाहिए, चाहे वे नेता पुत्र या पुत्री क्यों न हो।
दरअसल, गुजरात विधानसभा चुनावों को लेकर भाजपा ने फॉर्मूला लागू किया है। इससे मध्यप्रदेश के भाजपा नेताओं में खलबली मच गई है। खासकर ऐसे नेताओं के बीच, जो अपने बेटे या बेटी को आगे बढ़ाना चाहते हैं। उज्जैन के पूर्व सांसद सत्यनारायण जटिया ने भोपाल में भाजपा के कोर ग्रुप की बैठक में भाग लिया। इस दौरान मंगलवार को उन्होंने पत्रकारों के पूछे सवालों पर नेता पुत्रों को टिकट देने या न देने पर अपनी ओर से पार्टी की स्थिति स्पष्ट की। प्रदेश में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर बेटे देवेंद्र, मंत्री गोपाल भार्गव बेटे अभिषेक, विजय शाह के बेटे दिव्यादित्य शाह, विधायक सुलोचना रावत बेटे विशाल, विधायक और पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष गौरीशंकर बिसेन की बेटी मौसम को चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं।
संसदीय बोर्ड ने ही लिया है फैसला
भाजपा के संसदीय बोर्ड ने गुजरात विधानसभा चुनाव को लेकर बड़ा फैसला किया है। किसी भी विधायक व सांसद के बेटा-बेटी या परिजन को टिकट नहीं मिलेगा। ऐसे में मध्यप्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में टिकट की आस लगाकर बैठे नेता पुत्र-पुत्रियों को झटका लगा है।
75 की उम्र सीमा भी कोई मापदंड नहीं
कुछ दिन पहले इंदौर के एक कार्यक्रम में जटिया ने 75 वर्ष की उम्र होने पर टिकट न देने के सवाल पर कहा था कि बीजेपी में ऐसा कोई मापदंड नहीं है। उसे जबरदस्ती चर्चा का विषय बना दिया गया। पार्टी सही समय पर सही कार्यकर्ता को जिम्मेदारी सौंपती है।