विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर दो दिवसीय मॉस्को यात्रा के बाद बुधवार सुबह करीब पांच बजे भारत लौट आए। मॉस्को में उन्होंने रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और रूसी उपप्रधान मंत्री एवं उद्योग और व्यापार मंत्री डेनिस मंटुरोव से मुलाकात और बातचीत की। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव के साथ विस्तृत चर्चा के बाद स्पष्ट संकेत दिया कि पश्चिमी ताकतों से बिना प्रभावित हुए भारत, रूस से कच्चे तेल का आयात जारी रखेगा। उन्होंने बताया कि भारत और रूस ने नई दिल्ली के पेट्रोलियम उत्पादों के आयात सहित दोनों देशों के बीच आर्थिक जुड़ाव का विस्तार करने का संकल्प लिया है। मंगलवार को दोनों देशों के विदेश मंत्री के बीच पांचवीं बैठक हुई। भारत चीन के बाद रूस का सबसे बड़ा तेल ग्राहक बन गया है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने वैश्विक स्तर पर ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा पर इसके परिणामों के मद्देनजर यूक्रेन संघर्ष को समाप्त करने के लिए नई दिल्ली के आह्वान को दोहराया। एस जयशंकर ने मॉस्को में अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव और उपप्रधान मंत्री डेनिस मंटुरोव के साथ व्यापक बातचीत के बाद यह टिप्पणी की। दोनों के बीच बातचीत मुख्य रूप से संपर्क, रक्षा और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के अलावा व्यापार और आर्थिक संबंधों को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाने पर केंद्रित थी। बता दें कि जयशंकर सोमवार शाम दो दिवसीय यात्रा पर मॉस्को पहुंचे थे। उनकी यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के कारण वैश्विक चिंताएं बढ़ रही हैं।
यूक्रेन संघर्ष शुरू होने के बाद जयशंकर की यह पहली मॉस्को यात्रा
जयशंकर की रूस यात्रा काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि यह इंडोनेशिया के बाली में होने वाली जी20 समूह की शिखर बैठक से एक सप्ताह पहले हो रही है जहां यूक्रेन संघर्ष एवं इसके प्रभाव को लेकर सघन चर्चा होना तय माना जा रहा है। यूक्रेन संघर्ष शुरू होने के बाद जयशंकर की यह पहली मॉस्को यात्रा है।
भारतीय निर्यात के रास्ते में आने वाली बाधाओं को रूसी पक्ष के सामने उठाया: जयशंकर
रूसी विदेश मंत्री लावरोव के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में जयशंकर ने कहा कि लावरोव और मैंने इस वर्ष हमारे द्विपक्षीय व्यापार में महत्वपूर्ण वृद्धि पर ध्यान दिया है और इस बात पर ध्यान केंद्रित किया है कि इसे और अधिक टिकाऊ कैसे बनाया जाए। हम स्वाभाविक रूप से व्यापार असंतुलन को लेकर चिंतित हैं, और मैंने रूसी पक्ष के साथ इस मामले को उठाया है कि भारतीय निर्यात के रास्ते में आने वाली बाधाओं को कैसे दूर किया जाए। जयशंकर ने कहा कि ऊर्जा और उर्वरक क्षेत्र में दोनों पक्षों के बीच सहयोग मजबूत हुआ है। उन्होंने कहा कि हम पारंपरिक क्षेत्र से इतर भी अन्य क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर ध्यान देंगे। उन्होंने कहा कि हमने अंतरराष्ट्रीय उत्तर दक्षिण कॉरिडोर सहित सम्पर्क, चेन्नई ब्लादिवोस्तक पूर्वी नौवहन कॉरिडोर सहित सम्पर्क बढ़ाने को लेकर भी चर्चा की।
दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों पर जयशंकर ने कहा कि भारत और रूस के बीच हितों को लेकर एक “स्वाभाविक तालमेल” है। और इसके जरिये हम न केवल अपने राष्ट्रीय हित की सेवा करते हैं, बल्कि हम प्रमुख जी20 अर्थव्यवस्थाओं के रूप में वास्तव में विश्व की अर्थव्यवस्था को भी स्थिर करने में मदद करते हैं।
रूस से तेल खरीदना देश हित में इसे जारी रखा जाएगा : जयशंकर
भारत पर रूसी कच्चे तेल की खरीद नहीं करने के पश्चिमी दबाव और रूसी तेल के लिए जी7 की प्रस्तावित मूल्य सीमा के बारे में पूछे जाने पर जयशंकर ने कहा कि नई दिल्ली का दृष्टिकोण ऊर्जा आपूर्ति के लिए सर्वोत्तम संभव पहुंच सुनिश्चित करना है। जयशंकर ने कहा कि यह सुनिश्चित करना हमारी बुनियादी जिम्मेदारी है कि अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल के बाजार में भारतीय उपभोक्ताओं को सबसे लाभप्रद शर्तो पर, सबसे बेहतर पहुंच हासिल हो।
जयशंकर ने कहा कि जहां तक तेल आपूर्ति का सवाल है, सबसे पहली बात यह है कि ऊर्जा बाजार को दबाव का सामना करना पड़ रहा है। यह दबाव कई तत्वों के मिलने के कारण उत्पन्न हुआ है।उन्होंने कहा कि लेकिन दुनिया में तेल एवं गैस का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता देश होने के नाते, यह सुनिश्चित करना हमारी बुनियादी जिम्मेदारी है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय उपभोक्ताओं को सबसे लाभप्रद शर्त पर, सबसे बेहतर पहुंच हासिल हो, जहां उपभोक्ताओं की आय का स्तर काफी ऊंचा नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत-रूस संबंधों ने हमारे फायदे के लिए काम किया है। इसलिए अगर यह मेरे फायदे के लिए काम करता है तो मैं इसे जारी रखना चाहूंगा। विदेश मंत्री ने भारत रूस आर्थिक संबंधों के सर्वांगीण विकास का संकल्प दोहराया। जयशंकर ने कहा कि भारत और रूस के संबंध ‘असाधारण’ रूप से दृढ़ और समय की कसौटी पर खरे साबित हुए हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि अब आर्थिक सहयोग बढ़ने की पृष्ठभूमि में दोनों देशों का उद्देश्य एक संतुलित, परस्पर लाभकारी और दीर्घकालिक साझेदारी के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करना होना चाहिए।जयशंकर ने कहा कि भारत और रूस द्विपक्षीय कारोबार को बढ़ाने के रास्तों पर ध्यान दे रहे हैं और दीर्घकालिक स्थिरता के लिये कई तत्वों को शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि इस बारे में कुछ चर्चाओं का परिणाम अब सामने आ रहा है।
भारत की नीतियां दुनिया में बटोर रहीं प्रशंसा
विदेश मंत्री ने कहा, दुनियाभर में भारत की शांति-समर्थक, जन-समर्थक नीतियां प्रशंसा बटोर रही हैं। भारत ने शांति और बातचीत के अपने रुख पर जोर देना जारी रखा है। छोटे देशों ने हाल ही में अपने सबसे कठिन समय के दौरान भी अटूट सहायता के लिए भारत की सराहना की।
अफगानिस्तान से संचालित आतंकवाद दुनिया के लिए चिंता का विषय
लावरोव के साथ संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में जयशंकर ने कहा कि अफगानिस्तान से संचालित आतंकवाद और वहां सक्रिय आतंकवादी दुनिया के लिए चिंता का विषय है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय, विशेष रूप से पड़ोसी मुल्क यह सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करें कि अफगानिस्तान से कोई आतंकवाद का खतरा न हो। उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि दुनिया इस बात को नहीं भूले कि अफगानिस्तान की स्थिति क्या है क्योंकि मुझे आज लगता है कि जितना ध्यान उस पर दिया जाना चाहिए, उतना नहीं दिया जा रहा है। जयशंकर ने कहा कि उस देश में मानवीय संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई है और भारत, अफगानिस्तान के लोगों को खाद्यान्न, दवा, कोविड रोधी टीके की आपूर्ति कर रहा है क्योंकि वे कठिन स्थिति का सामना कर रहे हैं।
संप्रभुता की रक्षा के अलावा कभी नहीं किया बल प्रयोग
जयशंकर ने कहा कि अपनी संप्रभुता की रक्षा करने के अलावा, भारत ने अपने उद्देश्यों और लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कभी भी किसी भी प्रकार के बल का प्रयोग नहीं किया है। अहिंसा का भारत का सदियों पुराना सिद्धांत आज भी हमारी विदेश नीति का मार्गदर्शन करता है। वास्तव में, भारत ने न केवल पश्चिम और रूस दोनों के साथ अपने संबंधों को बनाए रखा है, बल्कि इन संबंधों में लगातार सुधार भी हो रहा है। अमेरिका और रूस दोनों के हालिया बयान दोनों देशों के साथ भारत के मजबूत और सुरक्षित संबंधों के स्पष्ट प्रमाण हैं।