बिहार सरकार के आयुर्वेदिक कॉलेजों में शिक्षकों व सुविधाओं की कमी से यूजी और पीजी की सीटों में कमी हो सकती है। यही नहीं 14 विषयों की पीजी की पढ़ाई में से कई विषयों की मान्यता पर भी तलवार लटक गई है। मंगलवार को भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग ने कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संपूर्णानंद को इस संबंध में भेजे पत्र में कई कमियों का उल्लेख करते हुए उसपर सवाल उठाए हैं। साथ ही आयोग ने मामले की सुनवाई के लिए 11 नवंबर को तिथि निर्धारित की है।
आयेाग ने कहा कि 2020 में पटना आयुर्वेदिक कॉलेज को अंडर ग्रेजुएट कोर्स के लिए 25 ईडब्ल्यूएस कोटा समेत कुल 125 सीटों पर तथा पीजी के 14 विषयों में कुल 100 सीटों पर नामांकन की अनुमति दी गई थी। यह अनुमति इस शर्त पर दी गई थी कि शिक्षकों व फैकल्टी के रिक्त पदों पर शीघ्र बहाली हो जाएगी। दो साल बाद भी स्थिति में सुधार नहीं है। जांच में यूजी के चार विभागों में कुल सात और पीजी के 10 विभागों में कुल 13 फैकल्टी के पद रिक्त पाए गए। इसके साथ ही रचना शरीर में लेबेारेटरी तकनीशियन के दो पदों के विरुद्ध एक भी तकनीशियन तैनात नहीं हैं। उसी तरह द्रव्यगुण विभाग, हर्बल गार्डन, रोग निदान, शल्य तंत्र में भी तकनीशियनों व लैब सहायकों के कई पद खाली पड़े हैं।
जांच में अस्पतालकर्मियों की उपलब्धता भी मात्र 59 पाया गया। कॉलेज में संस्कृत की पढ़ाई के लिए एक भी शिक्षक नहीं है। वहीं मानक के अनुसार अस्पताल में 224 बेड होने चाहिए लेकिन उसमें भी 56 कम पाए गए।
ऑनलाइन सुनवाई 11 को
भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग ने प्राचार्य को सूचित किया है कि मामले की सुनवाई 11 नवंबर को ऑनलाइन होगी। कॉलेज प्रशासन उपरोक्त बिंदुओं पर उठाए सवालों का जवाब आयोग को 10 नवंबर के दो बजे दिन तक दे सकता है।