पीड़िता के पिता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से वह टूट गए हैं, लेकिन कानूनी लड़ाई जारी रखेंगे। सुप्रीम कोर्ट के फैसले में अपनी बेटी के साथ हैवानियत करने वाले तीनों आरोपी को बरी किए जाने की जानकारी मिलते ही पीड़िता की मां रोने लगी। आस पास मौजूद लोग उन्हें चुप करने की कोशिश कर रहे थे।
उन्होंने रोते हुए कहा कि 12 साल बाद यह फैसला आया है। इंतजार करते करते वह हार गई। वह अपनी लाडो को इंसाफ नहीं दिला पाई। घटना के बाद उनकी जीने की चाह खत्म हो गई थी। इसी इंतजार में जी रही थी कि वह अपनी बेटी को इंसाफ दिला सके।
उन्होंने कहा कि बेटी को इंसाफ दिलाने की लड़ाई में मैं अकेली या केवल हमारे स्वजन नहीं है। हमारा पूरा मोहल्ला, पूरा समाज, पूरा शहर, पूरा देश हमलोगों के साथ है। परिजनों ने कहा कि पहले द्वारका जिला अदालत ने तीनों आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई और फिर हाई कोर्ट ने इसे बरकरार रखा। हमें देश की शीर्ष अदालत से भी उम्मीद थी कि हाई कोर्ट के निर्णय को कायम रखा जाएगा, लेकिन हमें निराशा हुई। इसकी उम्मीद नहीं थी।
सामूहिक दुष्कर्म के बाद आंखों में तेजाब डालकर मार दिया था
घटना 14 फरवरी 2012 की है। युवती काम खत्म करने के बाद शाम को अपने घर जा रही थी। इसी दौरान रास्ते में तीन युवकों ने कार से उसे अगवा कर लिया। काफी देर तक बेटी के घर नहीं पहुंचने पर परिवार वालों को चिंता सताने लगी और वह अपने स्तर पर अपनी बेटी की तलाश शुरू की। उसके बाद परिजनों ने पुलिस को घटना की जानकारी दी।
पुलिस ने अपहरण का मामला दर्ज कर जांच शुरू की। शुरूआत में पुलिस को पता चला कि तीन युवक पीड़िता को कार से अगवा कर ले गए हैं। पुलिस ने कुछ दिन बाद इस मामले में तीन आरोपी रवि कुमार, राहुल और विनोद को गिरफ्तार कर लिया। जांच में पता चला कि आरोपियों ने युवती को अगवा करने के बाद उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। इस दौरान कार में इस्तेमाल होने वाले औजारों से उसे पीटा गया। उसके शरीर को सिगरेट से जलाया गया।
बदहवास हो गई युवती की दोनों आखों में तेजाब डालकर उसकी हत्या कर दी। इस मामले में निचली अदालत और दिल्ली हाईकोर्ट ने तीनों आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई थी। इसके बाद दोषियों की तरफ से सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को हाईकोर्ट के फैसले के पलटते हुए तीनों दोषियों को बरी कर दिया।
सिर्फ नैतिक दोष या संदेह के आधार पर आरोपी दोषी नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, किसी भी प्रकार के बाहरी नैतिक दबावों से प्रभावित हुए बिना हर मामले को अदालतों में सख्ती से योग्यता और कानून के अनुसार तय किया जाना चाहिए। अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा, अभियोजन पक्ष उचित संदेह से परे आरोपों को साबित करने में विफल रहा।
दुष्कर्म के आरोपियों के छोड़े जाने से उनका हौसला बढ़ेगा: स्वाति मालीवाल
छावला में युवती के साथ दरिंदगी कर हत्या करने के मामले में आरोपियों को बरी किए जाने पर दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालिवाल ने चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि इस फैसले से दुष्कर्म के आरोपियों का हौसला बढ़ेगा।
उन्होंने ट्वीट कर बताया कि साल 2012 में 19 साल की लड़की की दिल्ली में सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई। इस मामले में हाईकोर्ट ने आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई, पर सुप्रीम कोर्ट ने आरोपियों को बरी कर दिया। जबकि पीड़िता के साथ दरिंदगी की गई थी। उसकी आंख में तेजाब डाला गया और निजी अंग के साथ बर्बरता की गई थी।