केंद्र सरकार लक्षद्वीप में मिनिकॉय द्वीप पर 2,500 मीटर लंबी हवाई पट्टी की योजना बना रही है, जहां से वायु सेना के बड़े और वाणिज्यिक विमान उड़ान भर सकेंगे। सामरिक महत्व वाली इस हवाई पट्टी से भारत की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर नजर रखी जा सकेगी। इस परियोजना को सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई है और जल्द ही बजट को अंतिम रूप दे दिया जाएगा।
यह परियोजना पिछले कई सालों से चर्चा में थी, लेकिन लक्षद्वीप प्रशासक प्रफुल खोड़ा पटेल ने इसे तेज कर दिया है। वह एक भारतीय राजनेता हैं जो वर्तमान में दादरा-नगर हवेली, दमन-दीव और केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप के प्रशासक हैं। रणनीतिक स्थान पर स्थित मिनिकॉय कोच्चि का निकटतम द्वीप है, जो नौसेना के लिए सबसे बड़े ठिकानों में से एक है। इसलिए यह हवाई पट्टी भारत को उस जल क्षेत्र की जांच करने में मदद करेगी, जिसका इस्तेमाल चीन के साथ-साथ पाकिस्तान भी कर रहा है।
वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि इस परियोजना को सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई है और जल्द ही बजट को अंतिम रूप दे दिया जाएगा। यह परियोजना नागरिक उड्डयन और गृह मंत्रालय, नौसेना, वायु सेना और तट रक्षक बल के सुझावों को शामिल करके तैयार की गई है, जिसके अगले पांच वर्षों में पूरा होने की संभावना है। लक्षद्वीप हवाई अड्डा श्रीनगर के समान होगा, जिसमें वाणिज्यिक विमानों की सीमित आवाजाही है और इसका स्वामित्व भारतीय वायु सेना के पास है।
लक्षद्वीप हवाई अड्डे पर तटरक्षक बल के पास एक अलग हैंगर होगा, जहां वह अपने समुद्री टोही विमान हेलीकॉप्टर खड़े कर सकेगी। इससे नौसेना को क्षेत्र में गश्त बढ़ाने और संदिग्ध गतिविधियों को रोकने के लिए हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल करने में आसानी होगी। इस परियोजना की व्यवहार्यता को समझने के लिए एक सलाहकार को भी नियुक्त गया है। सूत्रों ने पुष्टि की कि यहां पहले एक छोटी हवाई पट्टी रखने का विचार था, जिसे ठुकरा दिया गया था क्योंकि हितधारक चाहते थे कि इस हवाई पट्टी से सभी प्रकार के विमानों का संचालन किया जा सके।
प्रोजेक्ट से जुड़े एक अधिकारी ने मिनिकॉय में एक हवाई अड्डे के लाभों के बारे में बताया कि इस मार्ग में नौ और आठ डिग्री चैनल हैं, जो यूरोप सहित विभिन्न वैश्विक स्थानों के बीच शिपिंग की जीवनरेखा हैं। मिनिकॉय द्वीप पर एक हवाई अड्डा होने से तट रक्षक, वायु सेना और अन्य बलों को आवाजाही पर नजर रखने और निगरानी रखने में मदद मिलेगी। यह मालदीव के सबसे करीब है, जो स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स का हिस्सा है। ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ में मलक्का जलडमरूमध्य, श्रीलंका, पाकिस्तान, मालदीव, होर्मुज जलडमरूमध्य और सोमालिया को संदर्भित करता है। इसमें बांग्लादेश और म्यांमार को भी शामिल किया गया है।
अब तक यह साफ हो चुका है कि चीन हिंद महासागर में अपना प्रभाव बढ़ाने की रणनीति पर काम कर रहा है, ताकि इस क्षेत्र में भारतीय पकड़ को नियंत्रित किया जा सके। मौजूदा समय में द्वीप पर जाने के लिए पर्यटकों को दिक्कत होती है, लेकिन नए हवाईअड्डे से पर्यटक परेशानी मुक्त यात्रा कर सकेंगे। यह हवाई पट्टी पाकिस्तान की मदद से समुद्री मार्गों पर चीन के प्रभुत्व के सपने को धराशायी कर देगी, जो लगातार ड्रग्स, हथियारों आदि के अवैध व्यापार में लिप्त है।