माफिया मुख्तार अंसारी के विधायक बेटे अब्बास अंसारी की कस्टडी रिमांड मिलने के बाद प्रवर्तन निदेशालय ने उससे शनिवार रात भर पूछताछ की। इसके बाद रविवार को भी कई चरणों में सवाल पूछे गए। सबसे खास बात यह रही कि ईडी ने जब उससे बुंदेलखंड की प्रॉपर्टी के लिए आई रकम का स्रोत पूछा तो वह स्तब्ध रह गया।
सूत्राें का कहना है कि मनी लॉन्ड्रिंग केस की जांच के दौरान ईडी को बुंदेलखंड व जालौन स्थित दो संपत्तियों के बारे में पता चला है। यह दोनों संपत्तियां अब्बास के दो मददगारों के नाम पर हैं। ईडी को कुछ ऐसे दस्तावेजी सबूत मिले हैं, जिससे इस बात की पूरी आशंका है कि यह दोनों बेशकीमती संपत्तियां कहीं न कहीं अब्बास अंसारी से जुड़ी हुई हैं।
कस्टडी रिमांड के दूसरे दिन हुई पूछताछ में सबसे ज्यादा सवाल इन्हीं दोनों संपत्तियों से संबंधित रहे। फिलहाल अब्बास ने इन दोनों संपत्तियों से अपना कोई संबंध होने की बात से इंकार किया। इससे पहले जैसे ही बुंदेलखंड स्थित प्रॉपर्टी के बारे में ईडी की टीम ने पहला सवाल दागा, अब्बास थोड़ी देर के लिए शांत हो गया।
मनी लॉन्ड्रिंग केस की जांच के दौरान ईडी को कुछ अहम सुराग हाथ लगे हैं। पता चला है कि मऊ व गाजीपुर में सरकारी जमीन पर कब्जा करके अवैध गोदाम बनवाए गए। यह दोनों गोदाम विकास कंसट्रक्शन के नाम पर बनवाए गए, जिसका कार्यालय रजदेपुर देहाती, गाजीपुर में स्थित था। इस कंपनी के पांच पार्टनर हैं, जिनमें मुख्तार की पत्नी अफ्शा अंसारी व उसकी पत्नी के भाई अनवर शहजाद व आतिफ रजा के अलावा योगेंद्र नारायण सिंह व जाकिर हुसैन शामिल हैं। खास बात यह कि मऊ में बनवाए गए गोदाम को एफसीआई को किराये पर देकर करीब 15 करोड़ रुपये कमाए गए। इस रकम से ही अलग-अलग जगहों पर मुख्तार के परिजनों के नाम पर प्रॉपर्टी खरीदी गई। इनमें से ही दो प्रॉपर्टी बुंदेलखंड व जालौन की भी हैं।
पूछताछ के दौरान एक और खास बात यह रही कि ईडी दफ्तर में एक बैंककर्मी को भी बुलाया गया। सूत्रों का कहना है कि खातों से जुड़ी जानकारी के कई सवालों पर अब्बास ने अनभिज्ञता जताई। इस पर ईडी अफसरों की ओर से ही बैंककर्मी को बुलाया गया। बैंककर्मी की मदद से खातों में हुए ट्रांजक्शन के बारे में जानकारी मांगी गई। जिस पर उसकी बोलती बंद हो गई।
सूत्रों का यह भी कहना है कि ईडी की टीम ने अब्बास से विकास कंसट्रक्शन के बारे में भी पूछताछ की। इससे जुड़े पहले सवाल पर अब्बास ने यह तो स्वीकार किया कि यह कंपनी उसकी मां व दो मामा के नाम पर है। लेकिन उसने फर्म से अपना कोई संबंध होने की बात से इंकार कर दिया। हालांकि जब ईडी ने उससे पूछा कि फर्म के खाते से उसके खाते में रुपयों का लेनदेन क्यों हुआ तो वह कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाया।