कुशल और योग्य श्रमिकों की कमी के कारण संयुक्त अरब अमीरात की कई कंपनियों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ, डाटा वैज्ञानिक और क्लाउड इंजीनियर जैसे रिक्त पदों के लिए उपयुक्त उम्मीदवार नियुक्त करना मुश्किल हो रहा है।
जीसीसी सैलरी गाइड सर्वे-2022 के अनुसार, 50 प्रतिशत कंपनियों ने कहा कि कर्मचारियों की भर्ती करते समय उनकी सबसे बड़ी चुनौती उपयुक्त आवेदकों की कमी थी। 21ने कहा कि आवेदक ज्यादा वेतन मांग रहे थे। सर्वे यह भी बताता है कि 19 कंपनियों को क्लाउड, साइबर सुरक्षा, डाटा साइंस, प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में कुशल श्रमिकों की कमी का सामना करना पड़ सकता है।
प्रतिभाओं को तलाशने के लिए कर रहे संघर्ष अपफ्रंट एचआर के प्रबंध निदेशक वलीद अनवर के अनुसार, आईटी क्षेत्र में कुशल कर्मियों की निश्चित रूप से कमी है। कंपनियां सही प्रतिभा वाले कर्मी खोजने के लिए संघर्ष कर रही हैं। उन्होंने कहा कि कुशल सॉफ्टवेयर डेवलपर, साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस विशेषज्ञों की कमी है।
आउटसोर्सिंग, फ्रीलांसिंग का विकल्प चुन रहीं कंपनियां
सर्वे के मुताबिक, कंपनियां स्थायी वेतन देने के बजाय आउटसोर्सिंग, फ्रीलांसिंग विकल्प का भी उपयोग कर रही हैं। वलीद अनवर ने कहा कि नियोक्ता रिक्तियों को भरने के लिए और कुशल प्रतिभाओं को आकर्षित करने के लिए विदेश की ओर देख रहे हैं। यूएई सरकार द्वारा हाल ही में वीजा नियमों में बदलाव से वहां अंतरराष्ट्रीय प्रतिभाओं को आकर्षित करना आसान हो जाएगा।
भारत में भी हुनरमंद कर्मचारियों की दिक्कतें
जापानी मूल के ट्रेंड माइक्रो के दक्षिण-पूर्व एशिया और भारत के उपाध्यक्ष नीलेश जैन के अनुसार, भारत सरकार को साइबर खतरों से निपटने को शिक्षा बजट का कम से कम 50% हिस्सा स्किल्ड इंजीनियरों पर निवेश करने की जरूरत है। इंजीनियरों को साइबर हमलों से निपटने का प्रशिक्षण देना चाहिए।
टेलीकॉम सेक्टर स्किल काउंसिल की मई 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत को 5जी सर्विस के लिए 2025 तक 2.20 करोड़ कुशल मैनपावर की आवश्यकता होगी, लेकिन मांग-आपूर्ति का अंतर 28 है। कई कंपनियां गैर-जरूरी कौशल वाले कर्मचारियों की छंटनी कर रही हैं।