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सनातन धर्म संस्कृति की कर्तव्य व्यवस्था से समाज और राष्ट्र में आएगी खुशहाली : डॉ एम एल गुप्ता

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Dharmotsava

अहमद नगर गांव में आयोजित शिव सत्संग मण्डल के आंचलिक धर्मोत्सव में डॉ एम एल गुप्ता ने कहा कि सनातन धर्म में कर्तव्य पालन को ही धर्म बताया गया है। कर्तव्य आधारित व्यवस्था से ही समाज को उन्नतिशील बनाया जा सकता है।

श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जाति-जाति में बंटा हुआ समाज कभी भी सशक्त नहीं हो सकता। हमारे पूर्वजों ने सदैव ज्ञान की बात सर्व समाज के कल्याण के लिए की है।

मण्डलाध्यक्ष आचार्य अशोक ने कहा कि परमेश्वर के ध्यान और भजन से ही समग्र जीवन का कल्याण संभव है। उन्होंने कहा कि आध्यात्मिकता व भक्ति मार्ग पर चलकर संतों भक्तों ने परमात्मा को साधा है।उन्होंने कहा कि एक गृहस्थ व्यक्ति के लिए यही उचित है कि वह भक्ति और कर्म के मार्ग पर अग्रसर रहे।

धर्मोत्सव में लखीमपुर के जिला प्रमुख जमुना प्रसाद ने कहा कि शिव सत्संग मण्डल समाज में आध्यात्मिक चेतना की अलख जगा रहा है। ध्यान और भजन से मानसिक शांति मिलती है, जो सफल एवं सुखद मानव जीवन के लिए आवश्यक है। उन्होंने कहा कि समाज में चेतना जागृत करके हमें अपने जीवन में विकारों को त्याग कर परमपिता परमात्मा से सच्चा प्रेम और समर्पण रखना चाहिए। उन्होंने शिव सत्संग मण्डल की ओर से संचालित की जा रही गतिविधियों के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी।

हरदोई के जिला महामंत्री रवि लाल ने बताया कि शिव, चेतना की जागृत, निद्रा और स्वप्न अवस्था के परे हैं।शिव समाधि हैं, चेतना की चौथी अवस्था, जिसे केवल ध्यान में ही प्राप्त किया जा सकता है। समाधि में मन पूरी तरह समभाव में रहता है। यह एक ही समय में शांत भी है और पूरी तरह जागरूक भी।

सत्संगी रामअवतार, व्यवस्था प्रमुख यमुना प्रसाद ने कहा कि शिव वह चेतना है जहां से सब कुछ आरम्भ होता है, जहां सबका पोषण होता है और जिसमें सब कुछ विलीन हो जाता है। आप कभी ‘शिव’ के बाहर नहीं हैं क्योंकि पूरी सृष्टि ही शिव में विद्यमान है। आपका मन, शरीर सब कुछ केवल शिव तत्व से ही बना हुआ है, इसीलिए शिव को ‘विश्वरूप’ कहते हैं। जिसका अर्थ है कि सारी सृष्टि उन्हीं का रूप है। सत्संगी नन्हेलाल ने ध्यान और भजन को समग्र जीवन की सफलता का आधार बताया।

सत्संगी सोमपाल ने भजन से लाभ, रामौतार ने दान की महिमा, इंस्पेक्टर ने सत्संग की महिमा, रवि वर्मा ने विविध मत-मतांतरों पर चर्चा की एवं रजनीश सक्सेना ने शाकाहार को जीवन का आधार बताया। भजनोपदेशक श्री कृष्ण, भैयालाल, राज कुमार एवं योग प्रशिक्षक सत्यम आदि ने प्रेरणादाई भजन सुनाए।

मण्डल के केन्द्रीय संयोजक अम्बरीष कुमार एवं मोहित राजपूत के संयुक्त संचालन में हुए धर्मोत्सव का शुभारम्भ प्रमुख समाजसेवी डॉ मुरारी लाल गुप्ता ने दीप प्रज्ज्वलित कर एवं बहन अंजली की सामूहिक ईश प्रार्थना से हुआ। सत्संगी राम निवास, स्वामी दयाल, राम कुमार, देव सिंह, अवधेश, सुनील, हरिओम, आशा राम, प्रदीप आदि ने धर्मोत्सव को भव्य बनाने में विशेष योगदान दिया। समापन पर सभी सत्संगी बन्धुओं और बहनों ने रोजाना ब्रह्ममुहुर्त में उठकर परमेश्वर का सुमिरन करने का शिव संकल्प लिया।

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