प्रदेश सरकार ने लखनऊ, कानपुर और वाराणसी में पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली का पुनगर्ठन करने का फैसला किया है। इसके तहत तीनों जिलों में ग्रामीण जिला व्यवस्था को समाप्त करके पूरे जिले को पुलिस कमिश्नरेट में शामिल करने का निर्णय लिया गया है। यह निर्णय ग्रामीण थानों के संचालन में आ रही व्यवहारिक दिक्कतों को देखते हुए किया गया है। यानि अब इन तीनों शहरों में ग्रामीण जिला के सभी थाने पुलिस कमिश्नरेट के अधीन होंगे। इससे संबंधित गृह विभाग केप्रस्ताव को बृहस्पतिवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट में मंजूरी दे दी गई है। हालांकि नई व्यवस्था अधिसूचना जारी होने के बाद लागू की जाएगी।
कैबिनेट में लिए गए फैसले की जानकारी देते हुए वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि पुलिस महानिदेशक ने 26 सिंतबर को शासन को पत्र लिखा था, जिसमें बताया गया था कि गौतमबुद्धनगर में तो पूरे जिले में पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली लागू है, लेकिन लखनऊ, कानपुर और वाराणसी जिले में दो तरह (कमिश्नरेट और ग्रामीण) की पुलिस व्यवस्था होने और थानों के भौगोलिक बिखराव होने से कई तरह की व्यवहारिक दिक्कते आ रही हैं। इससे जहां थानों के संचालन में दिक्कत हो रही है, वहीं प्रशासनिक पर्यवेक्षण आदि भी ठीक से नहीं हो पा रही है। पुलिस महानिदेशक ने यह भी अवगत कराया था कि ग्रामीण क्षेत्र के थानों का आकार छोटा व संख्या भी कम है। ऐसी स्थिति में एडीजी जोन और आईजी रेंज द्वारा ग्रामीण थानों की निगरानी नहीं हो पा रही है। इसी प्रकार आम लोगों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
उन्होंने बताया कि डीजीपी के सुझाव के आधार पर ही सरकार ने तीनों जिलों में सभी थानों को पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली के अधीन करने का निर्णय लिया है। लखनऊ, गौतमबुद्धनगर, कानपुर नगर और वाराणसी के महानगरीय क्षेत्रों के सभी सहायक पुलिस आयुक्तों, अपर पुलिस आयुक्तों, उप पुलिस आयुक्तों, संयुक्त पुलिस आयुक्तों और पुलिस आयुक्तों को कार्यपालक मजिस्ट्रेट की शक्तियां प्रदान किये जाने का निर्णय लिया गया है। कैबिनेट ने इन पुलिस कमिश्नरेटों में प्रशासनिक विभाजन की जिम्मेदारी पुलिस महानिदेशक को देने,वित्तीय अधिकारों के निर्वहन के लिए वित्त व कार्मिक विभाग से परामर्श करके विभागाध्यक्ष व कार्यालयाध्यक्ष घोषित करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी है।
लखनऊ में 6, कानपुर में 14 व वाराणसी में शामिल होंगे 12 थाने
सरकार इस फैसले के बाद लखनऊ में 6 थाने, कानपुर में 14 और वाराणसी कमिश्नरेट में 12 थाने बढ़ जाएंगे। तीनों जिलों में ग्रामीण क्षेत्रों के लिए अलग से तैनात किए एसपी, एएसपी और सीओ का पद समाप्त हो जाएगा और इनके स्थान पर डीसीपी और एडीसीपी की तैनाती होगी। वही सीओ अब एसीपी होंगे।
स्टार्टअप नीति में शामिल होंगे छह नए स्टार्टअप
आईटी एवं इलेक्ट्रानिक्स विभाग के मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने कैबिनेट निर्णय की जानकारी देते हुए बताया नीति में संशोधन के बाद अब उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना के लक्ष्य को तीन से बढ़ाकर आठ किया गया है। स्टार्टअप को पहले 15 हजार रुपये मासिक भरण पोषण भत्ता दिया जाता था उसे बढ़ाकर अब 17500 रुपये किया गया है। सीट कैपिटल और विपणन सहायता की राशि को भी पांच लाख से बढ़ाकर 7.50 लाख रुपये किया गया है। पांच लाख रुपये के प्रोटोटाइप अनुदान की व्यवस्था भी की गई है।
उन्होंने बताया कि प्रदेश में अभी एसजीपीजीआई लखनऊ, आईआईटी कानपुर के नोएडा परिसर में उत्कृष्टता केंद्र संचालित है। वहीं आईआईटी कानपुर में ड्रोन सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना के प्रस्ताव को भी मंजूरी मिल गई है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में अभी 52 मान्यता प्राप्त इन्क्यूबेटर्स और भारत सरकार के डीपीआईआईडी से पंजीकृत 7200 स्टार्टअप कार्यरत है।
प्रदेश में आठ डाटा सेंटर पार्क स्थापित स्थापित होंगे, 30 हजार करोड़ का निवेश मिलेगा
आईटी एवं इलेक्ट्रानिक्स मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने कैबिनेट निर्णय की जानकारी देते हुए बताया कि डाटा सेंटर नीति 2021 में 6 डाटा सेंटर पार्क्स और एक डाटा सेंटर यूनिट के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए है। इसमें करीब 20 हजार करोड़ का निवेश होगा और 636 मेगावॉट क्षमता के डाटा सेंटर स्थापित किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि जीआईएस 2023 के मद्देनजर डाटा सेंटर नीति में संशोधन किया गया है। नीति में निवेश लक्ष्य को बढ़ाकर 30 हजार करोड़ और डाटा सेंटर पार्क की संख्या को बढ़ाकर आठ किया है।
उन्होंने बताया कि ऐसे मामले जिनमें नीति की अवधि लेटर ऑफ कंफर्ट जारी होने की तिथि से 3 वर्ष में समाप्त हो रही है। उन्हें डाटा सेंटर पार्क में वाणिज्यिक उत्पादन शुरू करने के लिए लेटर ऑफ कंफर्ट जारी करने की तिथि से कम से कम तीन वर्ष का समय दिया जाएगा। ताकि उन्हें वाणिज्यिक उत्पादन शुरू करने के लिए पर्याप्त समय मिले। निवेशकों को निवेश प्रस्ताव की पावती पत्र जारी होने के बाद से ही गैर वित्तीय प्रोत्साहन दिए जाएंगे।
माइक्रोसॉफ्ट इंडिया सहित तीन कंपनियों को निवेश प्रोत्साहन की मंजूरी
सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने बताया कि तीनों कंपनियों ने सूचना प्रौद्योगिक एवं स्टार्टअप नीति 2017 के तहत निवेश किया है। उन्होंने बताया कि नीति में वाणिज्यिक परिचालन शुरू करने के लिए अवधि निर्धारण की व्यवस्था नहीं थी। कैबिनेट ने नीति की अवधि में प्राप्त इन तीन कंपनियों के निवेश प्रस्तावों के लिए निवेशकों को निवेश शुरू करने की तिथि से वाणिज्यिक परिचालन शुरू करने तक अवधि का निर्धारण की मंजूरी दी है।
उन्होंने बताया कि माइक्रोसॉफ्ट इंडिया प्रा. लि ने 2188 करोड़ रुपये के निवेश से अपनी इकाई स्थापित की है। एम.ए.क्यू इंडिया प्राइवेट लि की ओर से 483 करोड़ रुपये का निवेश प्रस्तावित है। वन 97 कम्यूनिकेशन लिमिटेड (पेटीएम) की ओर से तीन चरणों में कुल 571 करोड़ का निवेश प्रस्तावित है। उन्होंने बताया कि कैबिनेट ने तीनों कंपनियों को केस-टू-केस आधार पर नीति के तहत रियायतें देने का प्रस्ताव मंजूर किया है। उन्होंने कहा कि इससे प्रदेश की जीडीपी और साफ्टवेयर निर्यात में वृद्धि होगी। 20 हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा।
दो डाटा सेंटर परियोजनाओं को प्रोत्साहन की मंजूरी
आईटी एवं इलेक्ट्रानिक्स मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने कैबिनेट निर्णय की जानकारी देते हुए बताया कि डाटा सेंटर नीति 2021 में 250 मेगावॉट क्षमता के डाटा सेंटर पार्क की स्थापना और 20 हजार करोड़ रुपये के निवेश का लक्ष्य रखा गया था। उन्होंने बताया कि अभी तक 680 मेगावॉट से अधिक के प्रस्ताव मिल गए हैं और 15950 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव पर निवेशकों को लेटर ऑफ कंफर्ट जारी किया गया है। हाल ही में हीरानंदानी ग्रुप का डाटा सेंटर शुरू भी हो गया है।
उन्होंने बताया कि दो अन्य डाटा सेंटर नोएडा में स्थापित करने के लिए कैबिनेट ने मंजूरी दी है। दोनों परियोजनाओं को नीति के तहत निवेश पर सब्सिडी, परियोजना स्थापित करने के लिए बैंक से लिए गए कर्ज के ब्याज पर सब्सिडी, भूमि के क्रय पट्टे पर स्टांप ड्यूटी में छूट और ऊर्जा से संबंधित वित्तीय प्रोत्साहन दिए जाएंगे।
ओबरा ‘सी’ व पनकी परियोजना से अगले साल मिलने लगेगी बिजली
ओबरा ‘सी’ और पनकी परियोजना से 2021-22 में बिजली उत्पादन शुरू करने का लक्ष्य रखा गया था। कोविड के कारण लंबे समय तक काम बंद रहा। इसकी वजह से परियोजना का काम अभी पूरा नहीं हो सका। यही नहीं समयावधि बढ़ने की वजह से परियोजना की लागत में भी इजाफा हो गया है। 1320 मेगावाट क्षमता की ओबरा ‘सी’ परियोजना की प्रथम संशोधित लागत 10,416 करोड़ को मंजूरी दी गई थी। जीएसटी, रेलवे साइडिंग, स्टार्ट अप फ्यूल, नई ऐश डाइक के निर्माण, भूमि अधिग्रहण समेत कई अन्य मदों में 1,289.85 करोड़ रुपये की लागत बढ़ गई है।
कैबिनेट ने ओबरा ‘सी’ परियोजना की द्वितीय संशोधित लागत 11,705.85 करोड़ रुपये को मंजूरी दी है। इसी तरह पनकी परियोजना की अनुमानित लागत 5,816.70 में अधिष्ठान व्यय, ट्रांसमिशन लाइन शिफ्टिंग, स्टार्ट अप फ्यूल, एनटीपीसी द्वारा रिव्यू इंजीनियरिंग, निरीक्षण, अनुश्रवण समेत अन्य मदों में 912.50 करोड़ रुपये की बढ़ गई है। कैबिनेट ने पनकी में स्थापित की जा रही इकाई की संशोधित लागत 6729.20 करोड़ रुपये को मंजूरी दे दी है।
ऊर्जा विभाग के अधिकारियों के अनुसार ओबरा ‘सी’ और पनकी परियोजना को बीते वित्तीय वर्ष में चालू करने का लक्ष्य तय किया गया लेकिन कोविड की वजह से काम प्रभावित होने से इसमें विलंब हो गया है। अब दोनों परियोजनाओं को 2023-24 में चालू कर देने का लक्ष्य रखा गया है। ओबरा ‘सी’ तापीय परियोजना की पहली इकाई अगले साल फरवरी-मार्च और दूसरी इकाई जुलाई-अगस्त तक चालू होने की उम्मीद है। पनकी की इकाई को भी अगले साल तक चालू कर देने का लक्ष्य रखा गया है।
सहकारी चीनी मिलों को सवा नौ करोड़ रुपये गारंटी शुल्क की छूट
निर्माण निगम की 137 अधूरी परियोजनाओं को पूरा करने की मंजूरी
गोरखपुर में देवरिया बाईपास और अन्य सड़कें 4 लेन बनेगी
सरयू नहर परियोजना के लिए सिंचाई विभाग की भूमि देने को स्वीकृति
कनहर सिंचाई परियोजना में गैर वन भूमि के हस्तांतरण को मंजूरी
योगी कैबिनेट ने सोनभद्र जिले में कनहर नहर सिंचाई परियोजना के लिए वन भूमि के बदले गैर वन भूमि के हस्तांतरण को मंजूरी दे दी। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने आठ फरवरी को संस्तुति की थी। इसमें कहा गया था कि इस नहर प्रणाली के लिए जरूरी 127.1637 हेक्टेयर वन भूमि के बदले सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग की ग्राम भीसुर में गैर वन भूमि (कृषक भूमि) हस्तांतरित की जाए।
बदलेगा न्यायिक सेवा परीक्षा का पाठ्यक्रम
तीन निजी विश्वविद्यालयों को आशय पत्र निर्गत करने को मंजूरी
कैबिनेट ने जिन्हें मंजूरी दी है उनमें एक एसडीजीआई ग्लोबल विश्वविद्यालय, गाजियाबाद की प्रायोजक संस्था सुंदरदीप एजुकेशनल सोसाइटी, गाजियाबाद, उप्र. है। वहीं दूसरी मेजर एसडी सिंह विश्वविद्यालय, फर्रुखाबाद की प्रायोजक संस्था श्री बाबू सिंह दद्दू जी एजूकेशनल ट्रस्ट, फर्रुखाबाद है। वहीं तीसरा आशय पत्र जेएसएस विश्वविद्यालय, नोएडा की प्रायोजक संस्था जेएसएस महाविद्यापीठ, गाजियाबाद को सशर्त निर्गत किए जाने का प्रस्ताव स्वीकृत हुआ है।
पीपीपी माडल पर बनेगा वाराणसी का एकीकृत मंडलीय कार्यालय
पहले इस काम के लिए वाराणसी विकास प्राधिकरण को नामित किया गया था। लेकिन अब यह काम पीपीपी मॉडल पर कराया जाना है। इसलिए राजस्व विभाग की जमीन को विकासकर्ता के पक्ष में हस्तांतरित किया जाना है। कैबिनेट फैसले के मुताबिक भूमि का प्रयोग शासन द्वारा जारी पीपीपी दिशा निर्देश के आधार पर किया जाएगा। भूमि पर बनने वाले भवन का लीज, सब लीज हस्तांतरण स्वीकृत पीपीपी परियोजना में दिए गए प्रावधानों के अंतर्गत किया जाएगा।