मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से इस बार जनवरी में बजट पेश करने के संकेतों के बाद वित्त विभाग बजट की तैयारियों को लेकर सक्रिय हो गया है। आमजन, सिविल सोसाइटी, एनजीओ, सामाजिक संगठनों, युवाओं और जनप्रतिनिधियों के साथ मुख्यमंत्री की प्रस्तावित बजट पूर्व संवाद बैठकों से पहले वित्त विभाग ने सभी विभागों को विभागीय स्तर पर बजट को संवाद बैठकर करने के निर्देश दिए थे। विभाग स्तरीय बजट पूर्व संवाद बैठकें 1 नवंबर से शुरू हुई थी जो 15 नवंबर तक चलेंगी। अलग-अलग विभागों में विभाग स्तर पर होने वाली बजट पूर्व संवाद बैठकों में विभागों के एसीएस, प्रमुख शासन सचिव, शासन सचिव और जिला स्तर के अधिकारी बैठकों में शामिल हो रहे हैं।
बजट पूर्व संवाद बैठकों में पूर्व की बजट घोषणा के क्रियान्वयन के साथ-साथ सरकार के आगामी बजट में कौन-कौन से सुझावों को शामिल किया जा सकता है, पर चर्चा हो रही है। विभाग स्तर के साथ-साथ जिला स्तर पर भी बजट पूर्व संवाद बैठकें आयोजित की जा रही हैं जिसमें जिला कलेक्टर को भी बैठकें आयोजित करने के निर्देश दिए गए हैं। वित्त विभाग की ओर से जारी दिशा निर्देशों के मुताबिक बजट पूर्व संवाद बैठकों में आने वाले सुझावों को विभाग प्रभारी सचिव के ध्यान में लाया जाएगा और सुझावों के गुण-अवगुण के आधार पर विश्लेषण करके उनकी रिपोर्ट तैयार की जाएगी।
अब 15 नवंबर तक विभागीय स्तर पर संवाद बैठकों के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी सामाजिक संगठनों, सिविल सोसाइटी, एनजीओ, आमजन कृषकों, खिलाड़ियों, युवाओं और जनप्रतिनिधियों के साथ अलग-अलग संवाद बैठकर करके उनसे भी बजट पर सुझाव लेंगे। मुख्यमंत्री के साथ होने वाली संवाद बैठकर सचिवालय में होना प्रस्तावित हैं। मुख्यमंत्री की ओर से बजट पूर्व संवाद बैठकों में जिन विभागों के लिए अलग-अलग सुझाव लिए जाएंगे। उनमें खेल और युवा मामलात, स्कूल एजुकेशन, हायर एजुकेशन, तकनीकी शिक्षा, महिला बाल विकास, चिकित्सा और चिकित्सा शिक्षा, सामाजिक न्याय, पुलिस, जेल प्रशासन, अल्पसंख्यक मामला, कृषि, पशुपालन, गोपालन, कृषि विपणन, उपभोक्ता, सहकारिता, जल संसाधन, ग्रामीण विकास पंचायती राज, वन, जनजाति विकास, उद्योग, स्किल डेवलपमेंट, श्रम, पर्यटन, आर्ट एंड कल्चर, नगरीय विकास, उर्जा और ट्रांसपोर्ट विभाग से संबंधित सुझाव लिए जाएंगे।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अलग-अलग विभागों के लिए अलग-अलग दिन संवाद बैठकर करेंगे, जिनमें सिविल सोसाइटी, आमजन, एनजीओ, उद्यमी, किसान, युवाओं, वनप्रेमियों, छात्र-छात्राओं और आमजन से संवाद करेंगे और बजट पर उनके सुझाव लेंगे। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हाल ही में सरकार का पांचवां और अंतिम बजट इस बार जनवरी में ही पेश करने के संकेत दिए थे। इसके पीछे वजह यह है कि बजट पेश करने के बाद सरकार चुनावी मोड में चली जाएगी। वहीं सरकार की मंशा है कि प्रदेश में अगले साल दिसंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लगने से पहले पहले पांचवें और अंतिम बजट की तमाम घोषणाओं को अमलीजामा पहनाया जा सके और जनता को उसका लाभ मिल सके।