कार्तिक शुक्ल नवमी आज बुधवार को आंवला नवमीं के रूप में मनाई जा रही है। इस खास दिवस को आंवला नवमी या अक्षय नवमी के नाम से जाना जाता है।इसलिए महिलाएं व्रत रखते हुए सुख-सौभाग्य व समृद्धि की कामना से आंवले के वृक्ष पूजा कर रही हैं।
उल्लेखनीय है कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार आंवले के वृक्ष में भगवान विष्णु का वास माना गया है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन आंवले की पूजा से मां लक्ष्मी अति प्रसन्न होती है और जीवन में खुशहाली आती है। राजधानी के मयूर पार्क, बागसेवनिया हनुमान मंदिर सहित अनेक जगहों पर महिलाएं सामूहिक रूप से आंवले के वृक्ष की पूजा कर रही हैं। उज्जैन के पं. हरिहर पंड्या के अनुसार संतान की दीघार्यु, सुख-सौभाग्य व समृद्धि की कामना से महिलाएं यह व्रत रखती हैं। उन्होंने बताया कि इस दिन महिलाएं सिंघाड़े, पिंडखजूर, छुआरे या अन्य फल से आंवले के वृक्ष की 108 परिक्रमा लगाती हैं। साथ ही वृक्ष की जड़ को दूध व जल अर्पित करती हैं।
रात्रि 11.00 बजे से आई नवमीं तिथि
हिंदू पंचांग के मुताबिक कार्तिक शुक्ल नवमी तिथि एक नवंबर को रात 11 बजकर 04 मिनट से शुरू होकर दो नवंबर, बुधवार को रात 09 बजकर 09 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि के हिसाब से 02 नवंबर को आंवला नवमी मनाई जा रही है। आंवला नवमी पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 34 मिनट से शुरू हो गया है, जो दोपहर 12 बजकर 04 मिनट तक रहेगा।