लोक आस्था और सूर्योपासना का महापर्व छठ की छंटा देखने असलम सीरिया से फारबिसगंज पहुंचा ।असलम ने फारबिसगंज के श्री पंचमुखी हनुमान सरोवर,कोठीहाट नहर और सुल्तान पोखर घाट पर पहुंच कर छठ पर्व का आनंद अपने दोस्तों के साथ लिया और घूम-घूमकर प्रसाद के रूप में छठ का प्रसाद प्राप्त किया।
दरअसल असलम मूल रूप से पश्चिम बंगाल के इस्लामपुर का रहने वाला है और उसका बचपन फारबिसगंज में ही बीता है।वर्तमान समय मे असलम सीरिया के होम्स स्थित अल हवाश प्राइवेट यूनिवर्सिटी में लेक्चरर है।असलम के पिताजी मो.अशफाक आलम फारबिसगंज पावर सब स्टेशन में नौकरी करते थे और फारबिसगंज से रिटायर्ड होने के बाद मूल गांव इस्लामपुर में रह रहे हैं।असलम दो बहन और भाई में अकेले है और उनका बचपन फारबिसगंज में ही बीता था।उनके हाई स्कूल तक कि शिक्षा दीक्षा फारबिसगंज के ही निजी स्कूल और प्लस टू स्तरीय ली अकादमी हाई स्कूल से हुई है।जिसके बाद पटना और दिल्ली से बी फार्मा, एम फार्मा और पीएचडी कर वर्तमान में सीरिया के होम्स में लेक्चरर के रुप में अध्ययन और अध्यापन का काम करता था।
असलम बताते हैं कि जब वह फारबिसगंज में था तो सूर्योपासना के इस महापर्व में अपने दोस्तों के साथ घाट पर आना जाना करता था और पूजा पाठ में भाग लेता रहता था।कोठीहाट नहर के दोनों छोर पर लंबी दूरी तक छठ की छंटा उनके जेहन में कैद था और हरबार छठ पर्व के समय उसे वह याद कचोटता रहता।लेकिन हरेक बार कोशिश के बावजूद आना नहीं हो पा रहा था लेकिन इस बार उन्होंने पहले से ही अपना प्रोग्राम सेट कर सीरिया से दिल्ली और फिर दिल्ली से बागडोगरा के बाद अपने घर इस्लामपुर होते हुए रविवार को फारबिसगंज पहुंचा और छठ घाट पर जाकर पर्व की अपरम्पार वाली महिमा को नजदीक से महसूस किया।
उन्होने कहा कि कोई भी धर्म हो वह मनुष्य को मनुष्य से जोड़ने और जीवन की प्रासंगिकता को बताने का काम करता है।कोई भी धर्म मजहब के लोग क्यों हो,एक दूसरे के धर्म का आदर करना चाहिए और फिर लोक आस्था का छठ पर्व तो प्रकृति को समर्पित है।उंन्होने कहा कि पूरी दुनिया केवल उगते सूर्य को नमन करते हैं,लेकिन छठ पर्व में हम अस्ताचलगामी के साथ उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।
असलम फारबिसगंज पहुंचकर अपने पुराने साथियों को तलाशते हुए आलोक कुमार,अश्विनी कुमार कुंदन,चंद्रकेतु,नरेंद्र ठाकुर,अजय साह,सालकिन,ओमप्रकाश चौधरी,राहुल ठाकुर,सूर्य प्रकाश,अमर शर्मा,चुन्नू से मुलाकात कर दोस्तों के साथ घूमते हुए छठ पर्व का आनन्द लिया और जमकर छठ की पारंपरिक लोक गीत संगीत के साथ देशी पकवान ठेकुआ का लुत्फ उठाया।उंन्होने अपने इस यात्रा को नई ताजगी और ऊर्जा प्रदान करने वाला करार दिया।