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डेंगू व मलेरिया के साथ बेकाबू हुआ स्वाइन फ्लू, 2 माह में 64 से बढ़कर 381 हुए मरीज

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उत्तर प्रदेश में डेगू, मलेरिया व चिकनगुनिया के साथ स्वाइन फ्लू भी बेकाबू होने लगा है। हालात ऐसे हैं कि दो माह में ही इसके मरीजों की संख्या 381 हो गई है। इनमें से 294 मरीज गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर व लखनऊ में ही हैं। स्थिति को देखते हुए शासन ने सभी स्वास्थ्य कर्मियों को जल्द से जल्द टीकाकरण कराने व मरीजों के लिए अलग-अलग वार्ड बनाने के निर्देश दिए हैं।

हालांकि स्वास्थ्य विभाग इस दावे में ही मस्त है कि पिछले साल की अपेक्षा इस साल मच्छर जनित बीमारियों की संख्या कम है। मगर, आंकड़े बता रहे हैं कि हालात खराब हो रहे हैं। 30 अगस्त तक यूपी में स्वाइन फ्लू के सिर्फ 64 केस थे और इसके मरीज 19 जिलों में थे। 30 अक्तूबर को यह संख्या बढ़कर 381 पहुंच गई और 44 जिले चपेट में आ चुके हैं। अब तक दो मरीजों की मौत भी हो चुकी है।

सूत्रों का कहना है कि जो मरीज पहले डेंगू की चपेट में आए थे, बाद में स्वाइन फ्लू होने पर उनकी स्थिति ज्यादा गंभीर हो गई। लखनऊ के कॉरपोरेट अस्पताल में कई ऐसे भी मरीज भर्ती हुए हैं, जिनमें डेंगू के साथ स्वाइन फ्लू भी पाया गया है। इन्हें आईसीयू में रखना पड़ा है।

हालात की गंभीरता ऐसे समझें
डेंगू के मरीज 2 माह मे 379 से बढ़कर 5943 हुए।
मलेरिया के मरीज 1140 से 3477 हुए।
चिकनगुनिया के 11 से बढ़कर 38 मरीज।
(30 अगस्त से 30 अक्तूबर तक)

स्वाइन फ्लू के कहां-कितने मरीज
जिले    मरीज
गाजियाबाद    110
गौतमबुद्धनगर    107
लखनऊ    77
कानपुर नगर    14
(सुल्तानपुर में 5, रायबरेली, अयोध्या में 3-3, गोंडा, बाराबंकी, अंबेडकरनगर, अमेठी में एक-एक मरीज मिले हैं।)

 

क्या कहते हैं जिम्मेदार

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा का कहना है किस्वाइन फ्लू के केस हर तीन से चार साल में बढ़ते हैं। पिछले दो साल की अपेक्षा इस बार केस अधिक हैं। त्योहारों की छुट्टी के बाद आवागमन बढ़ना भी एक वजह है। इसे नियंत्रित करने के लगातार प्रयास किया जा रहा है। सभी मुख्य चिकित्साधिकारियों व अधीक्षकों को निर्देश दिया गया है कि स्वास्थ्यकर्मियों को जल्द से जल्द स्वाइन फ्लू का टीका लगवाएं। अस्पतालों में अलग से वार्ड बनाने, दवाओं के इंतजाम करने के निर्देश दिए गए हैं।

मास्क लगाने की सलाह
लोहिया संस्थान के विभागाध्यक्ष मेडिसिन डॉ. विक्रम सिंह का कहना है कि स्वाइन फ्लू के लेकर घबराने की जरूरत नहीं है। लक्षण दिखते ही जांच कराएं। मास्क का प्रयोग कर रेस्पेरेटरी से संबंधित सभी बीमारियों को रोका जा सकता है। कोविड की तरह स्वाइन फ्लू के दौर में भी मास्क अपनाने की जरूरत है। पहले टिपिकल निमोनिया समझ कर इलाज होता था। अब ऐसे लक्षण दिखते ही स्वाइन फ्लू की जांच कराई जा रही है। इससे मरीजों की संख्या बढ़ी है, लेकिन अच्छी बात यह है कि मरीज ठीक हो रहे हैं।

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