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108 कुंडीय गायत्री महायज्ञ के शक्ति कलश का सभी प्रखंडों में होगा भ्रमण

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शक्ति कलश

बेगूसराय में 16 से 19 दिसम्बर तक होने वाले 108 कुंडीय नव चेतना जागरण गायत्री महायज्ञ, संस्कार महोत्सव, युवा सम्मेलन एवं सदगुरू ज्ञान गंगा सदग्रंथ स्थापना कार्यक्रम की तैयारी काफी तेज हो गई है।

जिला मुख्यालय के आईटीआई मैदान में होने वाले इस कार्यक्रम में महायज्ञ के साथ ही पुंसवन, नामकरण, अन्न प्राशन, मुंडन, विद्यारंभ, यज्ञोपवित, विवाह, जन्म दिवस, विवाह दिवस, गुरू दीक्षा संस्कार भी नि:शुल्क सम्पन्न कराए जाएंगे। इसके अलावा वृहद युवा सम्मेलन होगा, जिसे देव संस्कृति विश्वविद्यालय के उप कुलपति चिन्मय पांड्या संबोधित करेंगे।

गायत्री परिवार के संस्थापक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य एवं माता भगवती देवी शर्मा के सूक्ष्म संरक्षण में होने वाले इस बृहद कार्यक्रम के लिए शांतिकुंज हरिद्वार से शक्ति कलश बेगूसराय आ चुका है। अब तीन नवम्बर से शक्ति कलश श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ गुरुदेव के संदेश के साथ सभी प्रखंडों में भ्रमण करेगा। भ्रमण कार्यक्रम की शुरुआत चेरिया वरियारपुर से होगी तथा प्रत्येक दिन दो प्रखंड का भ्रमण करते हुए समापन शाम्हो प्रखंड में होगा, इस दौरान रात्रि विश्राम वाले प्रखंड में रोज दीपयज्ञ भी आयोजित किए जाएंगे।

तीन नवम्बर चेरिया बरियारपुर एवं खोदावंदपुर चार नवम्बर को छौड़ाही एवं गढ़पुरा, पांच नवम्बर को बखरी एवं नावकोठी, छह नवम्बर को वीरपुर एवं भगवानपुर, सात नवम्बर को मंसूरचक एवं बछवाड़ा, आठ नवम्बर को तेघड़ा एवं बरौनी, नौ नवम्बर को साहेबपुर कमाल एवं डंडारी, दस नवम्बर को बलिया एवं मटिहानी तथा 11 नवम्बर को पूरे दिन शाम्हो प्रखंड भ्रमण एवं रात्रि विश्राम के साथ समापन होगा।

प्रत्येक दिन प्रथम पाली में सुबह आठ बजे से 12 बजे तक गुरुदेव का संदेश एवं कलश दर्शन के बाद अगले प्रखंड के लिए प्रस्थान होगा। द्वितीय पाली के लिए दिन के एक बजे से शाम पांच बजे तक तीन जगहों पर गुरुदव का संदेश, कलश दर्शन के बाद छह बजे से 8:30 बजे तक दीपयज्ञ कार्यक्रम होगा। गायत्री परिवार के जिला संयोजक शैलेन्द्र किशोर ने बताया कि 16 दिसम्बर की सुबह मंगल कलश एवं सदगुरु ज्ञान गंगा सदग्रंथ शोभायात्रा के साथ कार्यक्रम की शुरुआत होगी और शाम में युग संगीत एवं प्रवचन होगा।

17 दिसम्बर को ध्यान साधना, प्रज्ञा योग, देवपूजन, गायत्री महायज्ञ, कार्यकर्त्ता गोष्ठी, युग संगीत एवं प्रवचन होगा। 18 दिसम्बर को ध्यान साधना, प्रज्ञायोग, गायत्री महायज्ञ विभिन्न संस्कार एवं कार्यकर्त्ता गोष्ठी तथा शाम पांच बजे से युगसंगीत, दीप यज्ञ एवं चिन्मय पांड्या का विशिष्ट उद्बोधन होगा। 19 दिसम्बर को ध्यान साधना, प्रज्ञा योग, गायत्री महायज्ञ पूर्णाहुति, विभिन्न संस्कार, नारी जागरण गोष्ठी, युग संगीत एवं प्रवचन के साथ शांतिकुंज से आई टोली की विदाई होगी।

उन्होंने बताया कि गायत्री उपासना सनातन है, चारों वेद इसी का प्रतिपादन करते हैं, इसके बिना मानव का पतन हो जाता है। मनुष्य मात्र गायत्री उपासना से द्विजत्व प्राप्त करता है। देवी भागवत में कहा गया है कि चारों वेद गायत्री अराधना का प्रतिपादन करते हैं, संध्याकाल में ब्रह्मादिक भी उनका ध्यान सहित जप करते हैं। तभी तो कहा गया है देव संस्कृति के दो निर्माता यज्ञ पिता-गायत्री माता। गायत्री सदचिंतन प्रदान करती है, वहीं यज्ञ सत्कर्म सिखाता है। गायत्री एवं यज्ञ को 21वीं सदी की संजीवनी कही गई है।

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