इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने एक अहम फैसले में कहा कि आपराधिक केस के लंबित रहने के दौरान सरकारी कर्मी अस्थायी पेंशन व रिटायर होने के बाद मिलने वाले लाभ का हकदार है। यह सुविधा उसे तब तक मिलेगी जब तक कि इसके लिए कोई कानूनी अड़चन न हो। हालांकि यह भी कहा कि कर्मी इस अवधि की ग्रेच्युटी पाने का हकदार नहीं होगा।
न्यायमूर्ति आलोक माथुर की एकल पीठ ने यह फैसला वायरलेस पुलिस विभाग महानगर में प्रधान/मुख्य वायरलेस ऑपरेटर पद से रिटायर हुए वीरेंद्र श्रीवास्तव की याचिका पर सुनाया। कोर्ट के समक्ष विचारणीय सवाल था कि क्या कोई सरकारी कर्मचारी जिसके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही चल रही हो वह पूरी पेंशन और ग्रेच्युटी पाने का हकदार है?
याची का कहना था कि सेवाकाल में उसके खिलाफ महानगर थाने में फर्जीवाड़े का केस दर्ज हुआ था। इसके बाद उसे सस्पेंड किया गया और अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की गई जो उसके पक्ष में निर्णीत हुई। 10 सितंबर, 2004 को उसका निलंबन वापस ले लिया गया। इसके बावजूद रिटायर होने के बाद यह कहते हुए कि उसके खिलाफ आपराधिक केस लंबित है, नियमित पेंशन व ग्रेच्युटी रोक ली गई। याची ने हाईकोर्ट से पेंशन व ग्रेच्युटी दिलाने का आग्रह किया था।