विभाजन से एक दिन पहले लिखा गया था पत्र
ब्रिटेन स्थित साउथंप्टन विश्वविद्यालय में भारत विभाजन और इस संबंध में महात्मा गांधी के संवाद से जुड़ी प्रदर्शनी का आयोजन जाएगा, जिसमें गांधी की लिखित लिफाफे शामिल हैं।इन दुर्लभ लिफाफों को लोग गुरुवार से देख सकेंगे।
मुंबई के कलाकार जितिश कल्लट ने संग्रह किए गए पांच दुर्लभ लिफाफों को ‘टंगल्ड हायरार्की’ नाम दिया गया है। इन्हें विश्वविद्यालय के माउंटबेटन आर्काइव में संरक्षित किया गया है। माउंटबेटन भारत के अंतिम वायसराय थे। विश्वविद्यालय की जान हैंसर्ड गैलरी में दो जून को प्रदर्शनी के उद्घाटन से पूर्व कल्लट ने कहा कि ये पत्र विभाजन की घोषणा से एक दिन पहले लिखे गए थे।
कल्लट ने आगे बताया कि 2 जून (सोमवार), 1947 को माउंटबेटन ने गांधी से मुलाकात की थी और उन्हें भारत विभाजन के फैसले से अवगत कराया था। इसका गांधी ने कड़ा विरोध किया था। महात्मा गांधी ने सोमवार को मौन व्रत करने का फैसला किया था, जिसके परिणामस्वरूप बैठक ने एक असामान्य मोड़ ले लिया था। गांधी ने इस्तेमाल किए गए लिफाफों के पीछे अपनी बात लिखकर माउंटबेटन के साथ संवाद किया था। गांधी ने लिखा कि मुझे खेद है कि मैं बात नहीं कर सकता। जब मैंने सोमवार के मौन व्रत का फैसला लिया, तो मैंने दो अपवाद रखे। यानी, जरूरी मामलों पर उच्चाधिकारियों से बात करने या बीमार लोगों की देखभाल करने के बारे में, लेकिन मुझे पता है कि आप नहीं चाहते कि मैं अपनी चुप्पी तोड़ दूं..।
कलाकार जितिश कल्लट ने कहा कि हम नहीं जानते कि माउंटबेटन ने क्या कहा, लेकिन अपनी चुप्पी में गांधी ने हमारे लिए उनकी मुलाकात का एक अभिलेखीय अवशेष पीछे छोड़ दिया।’ कल्लट ने आगे जानकारी देते हुए बताया कि विभाजन के लिए उनकी अस्वीकृति व्यापक रूप से जानी जाती थी, इसलिए चुप्पी भी अस्वीकृति की एक वजह थी।