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प्लेटलेट्स कम होने का मतलब डेंगू नहीं, विशेषज्ञ चिकित्सकों ने दी अहम जानकारी

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जिले में मच्छरजनित बीमारियों का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है। ज्यादातर लोग प्लेटलेट्स कम होने को डेंगू का असर मान रहे हैं। ऐसे में वह डेंगू का उपचार शुरू करा दे रहे हैं। इस भ्रम पर विशेषज्ञ चिकित्सकों का कहना है कि सिर्फ डेंगू होने पर प्लेटलेट्स कम नहीं होता है, टाइफाइड, वायरल बुखार समेत अन्य बीमारियों में भी प्लेटलेट्स घटता है। जिले में मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारियों का प्रकोप बढ़ने लगा है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो जिले में डेंगू के संदिग्ध 200 मरीजों का सैंपल लिया गया है। जांच में चार मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है।

शेष मरीजों में प्लेटलेट्स कम मिला, लेकिन डेंगू नहीं निकला। जांच रिपोर्ट पर गौर करें तो उनकी प्लेटलेट्स न्यूनतम संख्या डेढ़ लाख से भी घटकर 70 से 80 हजार तक पहुंच गई। मरीज को बुखार के साथ-साथ कमजोरी और डिहाइड्रेशन की परेशानी भी हुई। सीएमओ डॉ. नरेश अग्रवाल ने बताया कि जब भी कभी मरीज को डेंगू होता है तो उसे तेज बुखार आता है।

इस दौरान अगर प्लेटलेट्स की जांच कराई जाए तो उनमें अंतर आए ये जरूरी नहीं, लेकिन अगर मरीज का बुखार ठीक हो गया है या उतरता है और फिर चढ़ता है तो उसके एक हफ्ते के अंदर या उसके बाद प्लेटलेट गिरनी शुरू होंगी। इस स्थिति में अगर किसी मरीज की डेंगू जांच कराई जाती है तो संभव है कि बुखार न होने पर वह नेगेटिव आए, लेकिन प्लेटलेट गिरने का ही मतलब है कि वह डेंगू से होकर गुजर चुका है। कहा कि वायरल बुखार समेत अन्य बीमारियों में भी प्लेटलेट्स कम हो जाता है। अगर किसी का 90 हजार तक प्लेटलेट्स है तो घबराने की जरूरत नहीं है। पपीता, कीवी आदि फल का सेवन करने से प्लेटलेट्स ठीक हो जाता है। जिला अस्पताल के फिजीशियन डॉ. अनिल कुमार ने बताया कि डेंगू में बुखार ठीक होने के बाद प्लेटलेट गिरते जाने का सिलसिला शुरू होता है। ऐसे में जरूरी है कि डेंगू के मरीज के ठीक होने के एक हफ्ते बाद तक उसका विशेष ध्यान रखा जाए और उसे भरपूर मात्रा में पानी पिलाया जाए। साथ ही लिक्विड डाइट दी जाए, जिससे उसके शरीर में पानी की कमी न होने पाएं।

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