इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने वन विभाग में डिप्टी रेंज फॉरेस्ट ऑफिसर और फॉरेस्टर पदों के लिए अभ्यर्थियों की न्यूनतम ऊंचाई सीमा को बढ़ाने की मांग वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि सुरक्षाकर्मी की भर्ती के लिए योग्यता को तय करने का मानदंड सिर्फ ऊंचाई नहीं हो सकता है।
यह सही है कि सुरक्षाकर्मी के पद पर भर्ती के लिए पॉलिसी बनाते समय राज्य सरकार ऊंचाई पर भी विचार करती है लेकिन भर्ती सिर्फ ऊंचाई के मानदंड पर नहीं की जा सकती। यह आदेश न्यायमूर्ति डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव की खंडपीठ ने कविता की जनहित याचिका पर दिया।
याची ने यूपी अधीनस्थ वन (डिप्टी रेंज फॉरेस्ट ऑफिसर व फॉरेस्टर) सेवा नियमावली, 2021 के कुछ प्रावधानों को चुनौती दी थी। याची ने कोर्ट को बताया कि डिप्टी रेंज फॉरेस्ट ऑफिसर व फॉरेस्टर के पदों पर भर्ती के लिए अभ्यर्थी की न्यूनतम ऊंचाई 163 सेंटीमीटर निर्धारित की गई है। वहीं इसी विभाग के वन्य रक्षक और वन्यजीव रक्षक पदों के लिए ऊंचाई की न्यूनतम सीमा 168 सेंटीमीटर है।
याची का यह भी कहना है कि यूपी पुलिस में सब इंस्पेक्टर के पद के लिए न्यूनतम ऊंचाई 168 सेंटीमीटर है। इतना ही नहीं होमगार्ड के लिए भी 167.7 सेंटीमीटर की न्यूनतम ऊंचाई का प्रावधान है। याचिका का विरोध करते हुए राज्य सरकार और यूपीएसएसएससी की ओर से कहा गया कि याचिका में सेवा संबंधी मामला उठाया गया है लिहाजा इस विषय के लिए जनहित याचिका नहीं दाखिल की जा सकती है। कोर्ट ने कहा कि भर्ती प्रक्रियाओं के संबंध में न्यायिक पुनर्विलोकन की बहुत कम गुंजाइश होती है।