दीपावली पर दीयों का कारोबार जगमगाने को बेताब है। मिट्टी के दीयों (दीपक) का कारोबार दीपावली पर कुम्हारों के घरों में चमक बिखेरेगा। इस उम्मीद से कुम्हार दीयों को बनाने में जुटे हुए हैं।
रोशनी का त्योहार दीपावली अक्टूबर माह में मनाया जाएगा। दीपावली पर दीयों को जलाकर घरों को रोशन किया जाता है इसलिए मिट्टी के बने वस्तुओं व मूर्ति आदि की खासी बिक्री होती है। हालांकि बदलते दौर में मिट्टी के दीयों के साथ इलेक्ट्रिक लाइटों ने बिक्री पर बड़ा असर डाला है लेकिन इसके बाद भी मिट्टी के दीयों की बिक्री पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा है। लोग आज भी मिट्टी के दीयों को पौराणिक मान्यता के साथ घरों में जलाते हैं।
इन दिनों कस्बा कुदरकोट के कुम्हार दीयों को बनाने में जुटे हुए हैं। छोटे-बड़े मिट्टी के दीये बनाये जा रहे हैं। कुम्हार बताते हैं कि इस बार उनको उम्मीद है कि कारोबार अच्छा चलेगा। इसलिए मिट्टी दीयों को बनाकर स्टॉक करने में लगे हुए हैं।
जनपद के कस्बा कुदरकोट में लगभग एक दर्जन घरों में कुम्हार मिट्टी के दीये व अन्य चीजें बनाते हैं। देखा गया है कि इस कारोबार में सपरिवार लोग लगे हुए हैं। कोई चाक चलाकर दीये बना रहा है तो कोई दीयों में रंग भरने का काम कर रहा है। घर की महिलाएं मिट्टी तैयार करने में लगी हुई हैं। कुम्हार बताते हैं कि यह बड़ी मेहनत वाला काम है सपरिवार लगना होता है तब कहीं काम चल पाता है। कुम्हारों को अब बस दीपावली के त्योहार पर बिक्री का इंतजार है।
मिट्टी की कमी से कुम्हार परेशान
भले ही खनन माफिया जेसीबी, ट्रैक्टरों और डंपरों से रात दिन मिट्टी का खनन कर रहे हो लेकिन कुम्हारों को दीयों को बनाने के लिए मिट्टी सहजता से नहीं मिल रही है। कुम्हार बताते हैं कि जब वह मिट्टी लेकर आते हैं तो पुलिस परेशान करती है। इसलिए अब मिट्टी आसानी से नहीं मिल पा रही है। इससे कारोबार प्रभावित हो रहा है। हालांकि कुछ परेशानियों के बाद जितनी भी मिट्टी उपलब्ध हो जाती है उससे दीपक बनाने में कुम्हार जुटे हुए हैं।
कोरोना काल के काले बादल छटे
कोरोना काल में मिट्टी को आकार देने वाले कारोबार पर बड़ा प्रभाव डाला था, लेकिन अब काले बादल छट गए हैं। कुम्हार बताते हैं कि जिस तरह से आर्डर मिल रहे हैं उससे कारोबार अच्छा चलने की उम्मीद है।
कुम्हार चहके
दीपावली पर दीयों की बिक्री खास होती है। इसलिए दीयों को बना रहे गयादीन ने बताया कि इस दीपावली को अच्छी बिक्री की उम्मीद है। अगर मिट्टी मिलती रहे, तो माल अधिक तैयार हो जाए, लेकिन मिट्टी नहीं मिल पा रही है। पहले जैसी स्थिति अब नहीं रही।
मिट्टी के कारोबार से जुड़े रामप्रसाद ने बताया कि इस बार छोटे और बड़े दीये बना रहे हैं। दीपावली को देखते हुए दीयों को बनाकर स्टॉक कर रहे हैं। अब बस दीपावली के पर पर्व इनकी बिक्री का इंतजार है। कहा कि दीपों का त्योहार उनके अंधियारे जीवन में रोशनी लाने का काम करता है। इस बार दीपावली से बड़ी आस है।