राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हिंदू समाज की एकता के लिए अपने स्थापना काल से ही कार्य कर रहा है। संघ का मानना है कि जब तक समाज में ऊंच-नीच व छुआछूत का भाव रहेगा, तब तक संपूर्ण समाज का संगठन करना संभव नहीं है। समता के आधार और समरसता के व्यवहार से ही समाज में एकता स्थापित हो सकती है। इसलिए संघ ने अपने स्वयंसवकों से आह्वान किया है कि वह सामाजिक समरसता का संदेश घर-घर पहुंचाएं। प्रयागराज में चल रही अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक में समरसता के लिए कार्य पद्धति विकसित करने पर चर्चा हुई।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन राव भागवत ने विजयदशमी के अवसर पर अपने संबोधन में कहा था कि विषमता का मूल तो मन
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सामाजिक विषमता को दूर करने के लिए सामाजिक समरसता गतिविधि के माध्यम से समाज में काम कर रहा है। संघ का मानना है कि छुआछूत हिन्दू समाज का कलंक है। इसलिए समाज से से छुआछूत को दूर करने के लिए संघ देशभर में काम करेगा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अनुसूचित समाज के बंधुओं को उनकी योग्यता के अनुसार समान अवसर उपलब्ध कराने में सहायता करेगा। इसके अलावा अनुसूचित समाज के विद्यार्थियों, प्रवचन, नौकरी पेशा लोगों व महिलाओं से संपर्क कर हिंदुत्व का गौरव बोध कराने का काम संघ के स्वयंसेवक करेंगे।
बैठक में संघ पदाधिकारियों ने कहा की केवल सेवाकार्यों से समरसता नहीं आयेगी। हमें व्यवहार में व आचरण में समरसता का भाव लाना होगा। संघ कार्यकर्ताओं को समरसता युक्त जीवन जीना होगा। इसके अलावा वंचित समाज के शैक्षणिक, सांस्कृतिक व आर्थिक विकास के लिए प्रयास करना होगा। बैठक में इस बात पर चर्चा हुई की समाज में आज शत्रु खड़ा करने का प्रयास हो रहा है।
इसलिए हमें अनुसूचित समाज के बंधुओं से संबंध, सम्मान व सहभाग के आधार पर देश विरोधी शक्तियों को मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।
इन प्रमुख विषयों पर समाज का प्रबोधन करेगा संघ
1. भूमि सुपोषण
2. सामाजिक समरसता
3. पशुपालन
4. कुटुम्ब प्रबोधन
5. घरेलू चिकित्सा
6. पर्यावरण
7. धर्मजागरण