समाजवादी पार्टी के संस्थापक और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की अस्थियां सोमवार को वैदिक विधि के अनुसार गंगा में विसर्जित कर दी गईं। अस्थि विसर्जन उनके तीर्थ पुरोहित शैलेश मोहन की ओर से कराया गया।
दिवंगत मुलायम सिंह यादव की अस्थियों को विसर्जित करने के लिए उनके बेटे अखिलेश यादव, डिंपल यादव, राम गोपाल यादव, धर्मेंद्र यादव समेत परिवार के अन्य लोग साथ रहे। इसके अलावा कई स्थानीय नेता भी उनके अस्थि विसर्जन कार्यक्रम में शामिल हुए। मुलायम सिंह की अस्थियों को हरिद्वार हर की पैड़ी में नहीं, बल्कि नमामि गंगे घाट पर विसर्जित किया गया। दरअसल इन दिनों गंग नहर की सफाई के चलते गंगा का प्रवाह रोका गया है। इस कारण हर की पैड़ी पर उतना पानी नहीं है। इस कारण ये फैसला लिया गया कि मुलायम सिंह यादव की अस्थियां नमामि गंगे घाट पर विसर्जित की जाएंगी। इसके बाद वहां पर मुलायम सिंह की अस्थियों को विसर्जित कर दिया गया।
अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा के राष्ट्रीय वरिष्ठ महामंत्री श्रीकांत वशिष्ठ ने कहा कि सिंचाई विभाग द्वारा अनुबंध का उल्लंघन करने के कारण सपा के नेता पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह की अस्थियों का हरकी पैड़ी पर विसर्जन नहीं हो पाया। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने हरकी पौड़ी ब्रह्म कुंड पर एक हजार क्यूसेक गंगाजल छोड़ा जाना ब्रिटिश समय से ही तय है। स्वाधीनता के बाद भी ये करार चलता रहा था। बीच में जब गंगाजल को रोका गया तो महासभा की मांग पर योगी आदित्य नाथ ने इसे चालू करवाया था।
वशिष्ठ ने दुख जताया कि उतर प्रदेश सिंचाई विभाग की हठधर्मिता के कारण आज राष्ट्रीय नेता की अस्थियों का अस्थि विसर्जन नई परंपरा में चंडी घाट के नमामि गंगे घाट पर करवाकर धार्मिक परंपरा एवं नेता के अस्तित्व का अपमान किया गया है। उन्होंने कहा कि हरकी पौड़ी पर जल ना होने से विश्व से आने वाले यात्रियों की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं, जिसकी महासभा निंदा ने करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार से गंगाजल के करार को पूरा करने की मांग की।
गौरतलब है कि बीती 10 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का निधन हो गया था। उन्होंने गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में अंतिम सांस ली थी।