सुहवल के समीप शिव मन्दिर पर आयोजित सात दिवसीय राम कथा में छठवें दिन यानी रविवार को व्यासपीठ से प्रवचन करते हुए युग तुलसी रामकिंकर जी महाराज के शिष्य पं. अरविन्द तिवारी व्यास ने भरत चरित्र पर व्याख्या किया। उन्होंने कहा कि प्रेम, भक्ति और मर्यादा समिश्रण ही भरत को उत्कृष्ट बनाता है।
राम ने जहां मर्यादा का आश्रय लेकर जीवन को सार्थक करने का मार्ग प्रशस्त किया। वहीं भरत ने प्रेम और भक्ति का सहारा लेकर ईश्वर प्राप्ति की राह दिखाई। वर्तमान समय में हम समाज में भरत के चरित्र से शिक्षा लेकर अपने पारिवारिक जीवन को सुगम और प्रेम मय बना सकते हैं। समाज में आपसी सौहार्द तथा प्रेम की कमी के कारण हीं परिवारों के बटवारा का कारण बनते है। त्याग और प्रेम ही वह साधन है, जो सबको एक सूत्र में पिरोकर रख सकता है। रामराज्य की परिकल्पना के लिए यह आवश्यक है मानव मानव से प्रेम करे। उन्होने एक प्राचीन कथा के माध्यम से कहा कि जहां प्रेम है वहीं भक्ति है। जहां भक्ति है, वहीं ईश्वर हैं। और जहां ईश्वर हैं वहीं शान्ति है। इस दौरान भगवती तिवारी, रेनू राय, गिरिजा पाण्डेय, प्रफुल्ल चन्द्र राय, जीवेन्द्र शुक्ल, मनीष राय, बृज किशोर पाण्डेय, प्रभाशंकर मिश्र, अमरेन्द्र पटेल, सुनील राय, कैलास तिवारी,मंगरू शाह, गिरिजा राय, महातिम यादव, हीरा यादव आदि मौजूद रहे।