राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक में जिन मुद्दों पर चर्चा प्रस्तावित है, उसमें धर्मांतरण पर रोक प्रमुख है। 16 से 19 अक्तूबर तक होने वाली मंडल बैठक में इस पर रणनीति बनाई जा सकती है। संघ का मानना है कि स्वयंसेवकों की ओर से अनुसूचित जाति की बस्तियों में सेवा कार्य को और तेज किया जाए ताकि इससे जुड़े लोगों के धर्मांतरण को रोका जा सके।
इस दौरान सामाजिक समरसता, जल संरक्षण, पॉलिथीन के प्रयोग को कम करने आदि मुद्दों पर भी संघ कोर कमेटी के सदस्यों ने चर्चा की। संघ प्रमुख मोहन भागवत की मौजूदगी में मंथन के बाद तमाम मुद्दों पर संघ पदाधिकारियों की सहमति भी बनी। तय हुआ कि चार दिवसीय बैठक जब पूरी हो तो प्रयागराज की धरती से संदेश जाए कि संघ सबका है।
यमुनापार के गौहनियां स्थित वात्सल्य परिसर में संघ प्रमुख की मौजूदगी में दिन भर चलीं बैठकों में कोरोना काल में उपजी बेरोजगारी की समस्या के समाधान का रास्ता खोजे जाने पर भी चर्चा हुई।
यह भी कि देश में अगले एक वर्ष के भीतर रोजगार के ज्यादा से ज्यादा अवसर बढ़ाने सहित इसके लिए संघ की रीति-नीति के प्रति झुकाव रखने वाले कारोबारी, सामर्थ्यवान लोगों को जोड़ने पर भी जोर रहा। संघ प्रमुख का इस बात पर भी जोर रहा कि स्वाबलंबन के लिए प्रयास तेज किए जाएं। इस बीच संघ के अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख रामलाल, अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर आदि भी गौहनियां पहुंचे।
बीते कुछ समय से संघ का कुटुंब प्रबोधन पर जोर है। संघ परिवार का मानना है कि भारतीय संस्कृति में संयुक्त परिवार की परंपरा रही है। लेकिन, वर्तमान दौर में हिंदुओं में तेजी से हो रहे विघटन की वजह से कोरोना काल में संघ की ओर से लगातार कुटुंब शाखाएं आयोजित की गईं। आगे विस्तार के मुद्दे को भी संघ की कार्यकारी बैठक में रखा जाएगा।
उठ सकता है हिंदुओं पर हमले का मुद्दा
कार्यकारी मंडल की बैठक में राजस्थान के उदयपुर और पश्चिम बंगाल में हिंदुओं पर की गई हिंसा का मुद्दा भी उठ सकता है। ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए संघ के स्वयंसेवकों की भूमिका पर केंद्रीय पदाधिकारियों ने लंबी चर्चा की। संघ मानता है कि ऐसी घटनाओं के मूल में पूरा समाज नहीं होता। मुस्लिम समाज के लोग भी ऐसी घटनाओं का विरोध करते हैं। उन्हें साथ लेकर सकारात्मक वातावरण बनाने की जरूरत है।