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आरएसएस : एक भारत श्रेष्ठ भारत के लिए विशेष प्रयोगों का एजेंडा तैयार करेगा संघ

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गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती की त्रिवेणी की ज्ञानधारा के बीच आरएसएस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी एक भारत श्रेष्ठ भारत की संकल्पना को साकार करने वाली कार्यनीति को तैयार करेगी। ताकि, हिंदुत्व के एकछत्र राष्ट्रव्यापी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके। इस अहम बैठक में आरएसएस के अगले मिशन और विजन पर तो फोकस होगा ही, आने वाले समय में नए भारत के वैभव के लिए राष्ट्रीय व सामाजिक स्तर पर किए जाने वाले विशेष प्रयोगों पर भी मंथन किया जाएगा।

चिंतन की इस धारणा को केंद्र में रखकर राष्ट्र निर्माण के वे अहम बिंदु इस महामंथन में शामिल किए जा रहे हैं, जिन्हें राष्ट्रहित में लागू कराना संघ लंबे समय से अपना दायित्व समझता रहा है। आरएसएस देश के मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य को हिंदुत्व के विस्तार के लिए सबसे बड़े अवसर के रूप में देख रहा है।

ऐसे समय जब केंद्र में नरेंद्र मोदी जैसे ताकतवर नेतृत्व वाली सरकार है और प्रदेश में योगी आदित्यनाथ भगवा रथ के वाहक की रीढ़ के रूप में खड़े हैं, तब संघ क्षमता विस्तार के किसी भी मौके को हाथ से नहीं जाने देना चाहता। गौहनियां में संघ के शुरू हुए महामंथन में सर संघचालक डॉ. मोहन भागवत की मौजूदगी में भविष्य निर्माण से जुड़े ऐसे ही कई महत्वपूर्ण और लक्षित विषयों पर चर्चा होगी।

 

पता चला है कि इसमें वर्तमान राष्ट्रीय व सामाजिक परिदृश्य के साथ ही शिक्षा, सेवा, आर्थिक और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दे चर्चा में शामिल होंगे। भविष्य को ध्यान में रखकर सामाजिक समरसता का एजेंडा तो अहम होगा ही इसके अलावा गोसेवा, ग्राम विकास, पर्यावरण, कुटुंब प्रबोधन, सामाजिक समरसता जैसे विषयों को आगे बढ़ाने पर भी चर्चा होगी। संगठन के विस्तार और विशेष प्रयोगों की जानकारी भी दी जाएगी।

आरएसएस की सोच, नीति और धारणा से जुड़े लोग इसे राष्ट्र को दिशा देने वाले संघ के चिंतन कुंभ से जोड़कर देख रहे हैं। कहा जा रहा है कि आरएसएस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की इस बैठक में पर्यावरण, पारिवारिक जागरूकता और सामाजिक सद्भाव से जुड़े विषयों पर ठोस प्रयासों पर चर्चा के अलावा विपरीत धारा वाली गतिविधियों से संबंधित जानकारी भी साझा की जाएगी। शिक्षा और वैचारिक क्षेत्रों, अर्थव्यवस्था, सामाजिक और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों को प्रमुखता से उठाया जाएगा। खास तौर से लोक सभा चुनाव-2024 के लिए इस बार आरएसएस की पृष्ठभूमि से जुड़े नेताओं को ज्यादा तवज्जो देने पर भी जोर होगा।

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