सुप्रीम कोर्ट में एसवाईएल मुद्दे की सुनवाई से पहले शुक्रवार को हरियाणा व पंजाब के मुख्यमंत्री आमने-सामने बैठने जा रहे हैं। मुख्यमंत्रियों के साथ दोनों राज्यों के मुख्य सचिव तथा विभागीय आला अधिकारी मौजूद रहेंगे। इससे पहले पंजाब में अमरिंदर सरकार के कार्यकाल के दौरान भी मुख्यमंत्री बैठक कर चुके हैं लेकिन बैठक में कोई नतीजा नहीं निकला था।
इस बैठक से पहले गुरुवार को दोनों राज्यों के आला अधिकारी दिन भर मंथन में जुटे रहे। हरियाणा व पंजाब की विधानसभाओं में कई बार एसवाईएल के मुद्दे पर प्रस्ताव पारित हो चुके हैं। एसवाईएल के पानी को लेकर दोनों राज्यों के अपने-अपने तर्क हैं। शुक्रवार की बैठक सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद हो रही है। इस बैठक में लिए जाने वाले फैसले के आधार पर ही 15 अक्टूबर को दोनों राज्यों को कोर्ट में अपना-अपना जवाब दाखिल करना है।
सुप्रीम कोर्ट ने 10 नवंबर 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने एसवाईएल मामले में हरियाणा के पक्ष में फैसला दिया था। शीर्ष अदालत ने कहा था कि एसवाईएल का बकाया काम पूरा करके हरियाणा को पर्याप्त पानी दिया जाएगा। इसके बाद 28 जुलाई 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को मामले में दोनों राज्यों के बीच मध्यस्थता का आदेश दिया था, लेकिन केंद्रीय मंत्रियों के कई बार मध्यस्थता करने से भी नतीजा नहीं निकला। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत भी मामले की मॉनिटरिंग कर चुके हैं, लेकिन आज तक इस विवाद का कोई हल नहीं निकल पाया है।
अब सभी की नजरें शुक्रवार को होने वाली बैठक पर लगी हैं। इसके बाद 15 अक्टूबर को होने वाली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले को लागू करवाने के लिए कठोर निर्देश जारी कर सकता है। ऐसे में अब शुक्रवार की बैठक कई मायनों में अहम मानी जा रही है।