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खून की तस्करी : सरगना ने की दगाबाजी तो प्रेमिका ने थाने पहुंचकर खोल दिए राज

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Prayagraj News :  खून की तस्करी के आरोपी।

खून तस्कर गिरोह का भंडाफोड़ सरगना की दगाबाजी से हुआ। दरअसल धोखा देने से नाराज प्रेमिका ने थाने पहुंचकर उसके सारे राज खोल दिए। दरअसल पहले झूंसी में रहने के दौरान ही शानू का संपर्क अल्लापुर निवासी विवाहिता से हुआ। इसके बाद दोनों कई बार मिले और फिर करीब आ गए।

करीबी इतनी बढ़ी कि महिला अपने पति को छोड़कर शानू के साथ चली आई और दोनों अल्लापुर में ही किराये पर रहने लगे। बात तब बिगड़ी जब शानू शादी में टालमटोल करने लगा। इसके बाद ही प्रेमिका शिकायत लेकर जार्जटाउन थाने पहुंच गई। इसी दौरान उसने शानू के खून तस्करी से जुड़े खेल की पोल खोल दी।

Prayagraj News :  खून की तस्करी के आरोपियों को मीडिया के सामने किया गया पेश।
तस्कर गिरोह ने जिले में खपाया 500 यूनिट खून 

जार्जटाउन में गिरफ्तार खून के सौदागर जिले में करीब 500 यूनिट खून खपा चुके  हैं। चिंता की बात यह है कि असुरक्षित तरीके से नशेड़ियों-बीमारों से लिया गया खून भी इसमें शामिल है। तस्कर गिरोह के तार शहर से लेकर देहात तक के कई अस्पतालों-क्लीनिकों से जुड़े हुए थे।

पुलिस ने सरगाना शानू समेत अन्य सदस्यों से पूछताछ में मिली जानकारी के आधार पर उनके ठिकानों पर छापे मारे। इस दौरान खून व अन्य सामान के साथ ही बेली अस्पताल ब्लड बैंक की कुल आठ रसीद बुकलेट मिली। इनमें से पांच बुकलेट भरी हुई जबकि शेष तीन खाली थीं।

प्रत्येक बुकलेट में 100 रसीदें हैं। खून देते वक्त गिरोह के सदस्य रसीद का एक हिस्सा तीमारदार को दे देते थे जबकि,  दूसरा हिस्सा बुकलेट में ही रहता था। बरामद भरी हुई बुकलेट में ऐसी 500 रसीदें मिली हैं। एसपी सिटी संतोष कुमार मीणा का कहना है कि भरी हुई पांच बुकलेट से यह माना जा रहा है कि कम से कम 500 लोगों को गिरोह के सदस्य खून की सप्लाई कर चुके हैं।

शहर से लेकर देहात तक के अस्पतालों से जुड़े थे तार
खून तस्कर गिरोह ने अपना जाल शहर से लेकर देहात तक के अस्पतालों तक फैला रखा था। इन अस्पतालों के कर्मचारियों को वह कमीशन का लालच देकर अपने साथ जोड़ लेते थे। जैसे ही किसी मरीज को खून की जरूरत होती थी, कर्मचारी तीमारदारों को गिरोह के सदस्यों से संपर्क करा देते थे। इसके साथ ही कई मेडिकल स्टोर संचालक भी गिरोह से जुड़े थे। गिरफ्तार लोगों में शामिल सचिन यादव भी इन्हीं में से एक है। उसका भाई एसआरएन अस्पताल के पास मेडिकल स्टोर चलाता है। सचिन इसी मेडिकल स्टोर में रहने के दौरान ऐसे तीमारदारों को ढूंढ़ता था, जिन्हें खून की जरूरत होती थी। इसके बाद वह गिरोह के लोगों से संपर्क करा देता था।

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