समाज कल्याण विभाग की ओर संचालित आश्रम पद्धति बालिका विद्यालयों में हुई अनियमितता की जांच एसआईटी ने शुरू कर दी है। टीम के सदस्यों ने मंगलवार को कौड़िहार विद्यालय में दस्तावेजाें की जांच तथा पूछताछ की। तीन सदस्यीय टीम यहां 14 अक्तूबर तक रहेगी। जिले में करछना, कौड़िहार, शंकरगढ़ और कोरांव में आश्रम पद्धति विद्यालय हैं। वर्ष 2018-19 से 2022-23 के दौरान इनमें वित्तीय अनियमितता की शिकायत हुई थी। इसके अलावा तीन विद्यालयों में नियम विरूद्ध पुस्तकालय अधीक्षकों को प्रधानाचार्य का कार्यभार सौंप दिया गया था। जबकि, नियमानुसार वरिष्ठत प्रवक्ता को यह जिम्मेदारी दी जानी चाहिए।
विभागीय जांच में इनकी पुष्टि के बाद शासन ने एसआईटी गठित कर दी थी। इसी क्रम में एसआईटी टीम के तीन में से दो सदस्य सोमवार को ही प्रयागराज पहुंच गए थे। एक अन्य सदस्य के बुधवार को आने की उम्मीद है। कौड़िहार में सबसे अधिक शिकायतें होने की बात कही जा रही है। ऐसे में सदस्य मंगलवार को कौड़िहार विद्यालय में पहुंचे और दिन भर रहे। इस दौरान उन्होंने संबंधित अफसरों से पूछताछ की। साथ ही जरूरी कागजात खंगाले। हालांकि अफसर इस बारे में कुछ भी बोलने से बच रहे हैं।
आश्रम पद्धति बालिका विद्यालयों में वित्तीय एवं प्रशासनिक अनियमितता की शिकायतों पर शासन की ओर से इसी वर्ष मई में समाज कल्याण अधिकारी अलख निरंजन मिश्र की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी गठित की गई थी। सदस्यों ने दो से चार मई के बीच विद्यालयों में जाकर पूछताछ की थी। साथ ही दस्तावेजों की जांच की थी। सदस्यों ने पाया था कि अनुदान संख्या 80 और 83 के अंतर्गत आवंटित समान एवं वितरण में गड़बड़ी हुई है। गुणवत्ता से भी समझौता किया गया है।
सदस्यों ने विभिन्न योजनाओं के तहत हुए भुगतान की बाबत मांग पत्र तथा वर्क ऑर्डर की भी मांग की थी लेकिन अफसर आधे-अधूरे कागजात ही उपलब्ध करा सके। 20 हजार से एक लाख रुपये के कई भुगतान थे जिनका मांगपत्र एवं वर्कऑर्डर से संबंधित दस्तावेज नहीं थे। कौड़िहार आश्रम पद्धति विद्यालय में परिसर में मिट्टी डलवाने के एवज में ही दो लाख 81 हजार रुपये का भुगतान कर दिया गया।
अफसर इसका मांगपत्र और वर्कऑर्डर भी उपलब्ध नहीं करा सके। इसी तरह से प्रक्रिया पूरी किए बगैर मोबाइल की भी खरीद की गई थी। इस तरह की शिकायतें अन्य विद्यालयों में भी रही। कमेटी ने बड़े स्तर पर वित्तीय अनियमितता की आशंका जताते हुए मई के पहले सप्ताह में ही रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। करोड़ों रुपये की अनियमितता को देखते हुए शासन ने एसआईटी बैठा दी थी।