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रेवती रमण सिंह बोले : राजनीति में अजातशत्रु थे मुलायम सिंह यादव, विरोधी पार्टियों के लोग भी करते थे सम्मान

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सपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रेवती रमण सिंह ने कहा कि सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव जमीन से उठकर विधानसभा, लोकसभा सदस्य, तीन बार मुख्यमंत्री और देश के रक्षामंत्री तक का सफर तय किया। वह राजनीति के अजातशत्रु थे। विरोधी दलों के लोग भी उनका सम्मान करते थे। उन्होंने पार्टी का गठन कर उसके सिद्धांतों को आम जनता तक पहुंचाने का कार्य किया। उनके जाने से जो रिक्तता राजनीति में आई है, उसे आसानी से भरा नहीं जा सकता।

इलाहाबाद के दो बार सांसद रह चुके रेवती रमण सिंह ने कहा कि मुलायम सिंह यादव ने समाजवाद को अमली जामा पहनाने का काम समाजवादी पार्टी का गठन करके किया था। वह राम मनोहर लोहिया के सच्चे अनुयायी थे। समाजवाद को साकार करने में उन्होंने अग्रणी भूमिका निभाई। रेवती रमण ने कहा कि नेताजी से उनकी पहली बार मुलाकात 1974 में हुई थी। उस समय वह बीकेडी में थे।

नेताजी काफी सादगी पसंद थे और गरीब, मजलूम और वंचितों के दर्द को समझते थे। उन्होंने केंद्र में रक्षा मंत्री रहते हुए काफी काम किया था। उन्होंने ऐतिहासिक निर्णय लेकर रक्षा मंत्रालय में सारे कार्य हिंदी में किए जाने की परंपरा शुरू की थी। हिंदी के प्रति उनका बेहद लगाव था। 

जवानों का पार्थिव शरीर ससम्मान घर पहुंचाने का दिया था आदेश

प्रयागराज। सरहद पर शहीद होने वाले जवानों का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ उसके पैतृक गांव में हो, यह परंपरा नेताजी ने ही अपने रक्षा मंत्रित्व काल में शुरू की थी। यही कारण है कि शहीद जवानों का पार्थिव शरीर ससम्मान सेना की ओर से गांव में लाया जाता है। नेताजी शहीदों और उनके परिवारों के प्रति बेहद संवेदनशील थे। उन्होंने रक्षा मंत्री रहते हुए देश को आगे बढ़ाने और सशक्त करने के लिए कई साहसिक निर्णय लिए।

सभी पार्टियों के पदाधिकारी करते थे सम्मान
प्रयागराज। मुलायम सिंह यादव का सभी पार्टियों के नेता सम्मान करते थे। दलगत राजनीति से ऊपर उठकर लोग उनका आदर करते थे। यह उनकी बीमारी के दौरान भी देखने को मिला। प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और रक्षा मंत्री से लेकर तमाम राजनेताओं और मंत्रियों ने अस्पताल पहुंचकर उनका हालचाल लिया था और उनके स्वस्थ होने की कामना की थी।

…तो नेताजी ही बनते प्रधानमंत्री
प्रयागराज। सियासत के अतीत में जाकर उन्होंने नेताजी से जुड़ा एक वाकया भी सुनाया। कहा कि नेताजी प्रधानमंत्री पद के प्रबल दावेदार थे और पीएम पद की रेस में सबसे आगे थे। 1996 के लोकसभा चुनाव के बाद सुरजीत सिंह बरनाला अगर मॉस्को न गए होते तो मुलायम सिंह यादव के हाथ में ही देश की कमान होती। उन्होंने बाद में रक्षामंत्री का दायित्य संभाला और पूरे मनोयोग से देश की सेवा की।

सियासत की दुनिया में नहीं पैदा होगा दूसरा मुलायम
पूर्व सांसद रेवती रमण ने कहा कि सियासत में मुलायम जैसे व्यक्तित्व बिरले ही पैदा होते हैं। अब दूसरा मुलायम सिंह यादव पैदा नहीं होगा। नेताजी को धरती पुत्र भी कहा जाता है। वह जमीन से जुड़े नेता था। उन्हें जमीनी कार्यकर्ताओं की परख थी।

 

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