मणिरत्नम की निर्देशन में बनी फिल्म ‘पोन्नियन सेल्वम’ (पीएस 1) इन दिनों सुर्खियों में है। इस फिल्म में चोल सम्राट राज राजा की कहानी को बड़े पर्दे पर दिखाया गया है, जिसे खूब पसंद किया जा रहा है। लेकिन यह फिल्म विवाद का हिस्सा भी बन गई है। बीते दिनों ही, तमिल सिनेमा के फिल्ममेकर वेत्रिमारन ने अपने बयान में दावा किया था कि राज राजा हिंदू नहीं थे और चोल शासन के दौरान हिंदू धर्म का नाम नहीं था। उनके इस बयान पर जमकर बवाल हो रहा है। वहीं, इस विवाद पर इतिहासकार एस जयकुमार ने अपना बयान दिया है, जो ‘पीएस 1’ की शूटिंग के दौरान मणिरत्नम के सलाहकार भी रहे थे।
जयकुमार का कहना है कि हिंदू शब्द चोलों के अभिलेखों में नहीं है। लेकिन राज राजा एक शैव और हिंदू राजा थे। आज जिस हिंदूवाद की बात होती है, वह कई शताब्दियों से मौजूद है। जो भी लोग शिव की पूजा करते हैं उन्हें शैव और जो लोग विष्णु की पूजा करते हैं उन्हें वैष्णव कहा जाता है। जयकुमार के मुताबिक, राज राजा एक कट्टर शैव थे। लेकिन ऐसा भी नहीं है कि उन्होंने सिर्फ शिव के मंदिर बनवाए। उन्होंने अपने समय पर भगवान विष्णु के मंदिरों को भी बनवाया है। उनके वंशज की कुलदेवी तंजावुर में निशुंभसुदिनी थीं। वह लोग दुर्गा, शक्ति और काली के साथ-साथ मुरुकन और गणेश की पूजा करते थे।
इसके आगे उन्होंने बृहदिश्वर मंदिर का जिक्र करते हुए कहा कि वहां भगवान गणेश को एक दिन में 150 केले चढ़ाए जाते थे। यह सब कुछ हिंदुत्व का निर्माण करता है। लेकिन यह भी सच है कि चोल शासन के दौरान हिंदू शब्द का इस्तेमाल नहीं किया गया। राज राजा चोल एक हिंदू शासक थे, इस बारे में कोई सवाल ही नहीं है। वह शैव संप्रदाय से ताल्लुक रखते थे। अपनी बात को जारी रखते हुए उन्होंने आगे कहा कि तमिलनाडु में शासन करने वाले चोलों और अन्य राजवंशों के समय के कुछ तांबे की प्लेट्स और शिलालेख मिले हैं, जिसके मुताबिक, यह सभी खुद को शिव और विष्णु दोनों का भक्त बताते हैं। इतना ही नहीं, वह जैनवाद और बुद्धवाद के भी अनुयायी थे। हालांकि उन्हें बड़े पैमाने पर पहचान शिव और विष्णु भक्त के तौर पर मिली।
राज राजा को हिंदू को हिंदू न कहने के विवाद पर कई नेताओं और कलाकारों का बयान आया है। कुछ लोगों ने वेत्रिमारन के बयान पर समर्थन जातते हुए कहा है कि राज राजा हिंदू नहीं थे। वहीं, बीजेपी की तरफ से इस बात पर सवाल हुए गए हैं। इन सभी बयानों के बीच जयकुमार ने कहा है तमिल शैव के भजन में ‘वेद नेरी’ का वर्णन है। इसे आसानी से उन दिनों हिंदू धर्म के लिए सही शब्द कहा जा सकता है क्योंकि हिंदू धर्म का मूल काफी हद तक वैदिक साहित्य से लिया गया है।
अपनी बात को खत्म करते हुए जयकुमार ने कहा कि चोलों ने भगवान राम के वंशज होने का दावा किया जाता है, जो सूर्य वंश के थे। इसी तरह हर वंशज दैवीय उत्पत्ति का दावा करता है। पांड्या कहते हैं कि वे चंद्रमा के वंशज हैं। पल्लव का मानना है कि वे भगवान विष्णु थे।