प्रदेश में तमाम कोशिशों के बावजूद सड़क हादसों की संख्या और इसमें मरने वाले व घायलों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। जनवरी से अगस्त तक के आंकड़ों के मुताबिक सड़क हादसों की संख्या में 13.7 प्रतिशत, मृतकों की संख्या में 8.70 और घायलों की संख्या में 18.44 फीसदी की वृद्धि हुई है। वहीं लखनऊ में हादसों की संख्या में डेढ़ गुना इजाफा हुआ है। यातायात निदेशालय द्वारा सभी जिलों को भेजे गए पत्र में इस पर चिंता व्यक्त की गई है। यही नहीं हादसों में कमी लाने के लिए अभियान चलाने को भी कहा गया है।
लखनऊ, नोएडा, गोरखपुर और प्रयागराज जैसे बड़े शहरों में हादसों की संख्या में 25 प्रतिशत से अधिक वृद्धि हुई है। जनवरी से अगस्त 2021 तक प्रदेश में 24,513 सड़क दुर्घटनाएं हुई थीं जबकि इस साल इसी अवधि में 27,871 दुर्घटनाएं हुई है। वर्ष 2021 में मृतकों की संख्या 13,995 थीं, जो इस वर्ष 15,213 हो गईं। घायलों की संख्या वर्ष 2021 में 16,129 थी, जो वर्ष 2022 में 19,103 हो गई।
इधर, लखनऊ में वर्ष 2021 में 528 हादसे हुए थे, जो इस वर्ष बढ़कर 805 हो गए। मृतकों की संख्या भी 187 के मुकाबले 311 और घायलाें की संख्या 358 से बढ़कर 554 हो गई। इसी तरह नोएडा में वर्ष 2021 में 526 हादसे हुए थे, जो बढ़कर इस साल 718 हो गए। मृतकों की संख्या वर्ष 2021 में 254 थीं, जो वर्ष 2022 में बढ़कर 292 हो गईं। घायलों की संख्या 359 से बढ़कर 536 हो गईं। यानी नोएडा में सड़क हादसों में घायल होने वालों की संख्या वर्ष 2021 के मुकाबले वर्ष 2022 में डेढ़ गुना से भी अधिक रही है। लगभग यही हाल गोरखपुर का भी है। वहां वर्ष 2021 में हादसों की संख्या 574, मृतकों की संख्या 238 और घायलों की संख्या 362 थी, जो वर्ष 2022 में बढ़कर क्रमश: 757, 330 और 498 हो गईं।
अभियान चालान काटकर कोटा पूरा करने तक ही सीमित
सड़क हादसों को रोकने के लिए हर साल सड़क सुरक्षा सप्ताह और माह मनाया जाता है, अभियान चलाए जाते हैं। पर यह चालान काटकर कोटा पूरा करने तक ही सीमित है। हादसों की वजह क्या है, इसे कैसे कम किया जाए, इस पर चर्चाएं भी बहुत होती हैं लेकिन अमल नहीं हो पाता। इसलिए हादसे लगातार बढ़ रहे हैं। नवंबर में यातायात माह जाएगा, योजनाएं बनेंगी, अभियान चलेगा, बैठकें व चर्चाएं होगी लेकिन अमल कितना होगा यह समय बताएगा।