मोबाइल फोन की बिक्री इस साल सात गुना बढ़ी है। कुल बिक्री में मोबाइल फोन की हिस्सेदारी 41 फीसदी रही है। फैशन का योगदान 20 फीसदी है। यह पिछले साल की तुलना में 48 फीसदी ज्यादा है। इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की बिक्री में पांच गुना का इजाफा हुआ है।
त्योहारी सीजन के पहले 7 दिनों में 40,000 करोड़ रुपये की ऑनलाइन बिक्री हुई है। पिछले साल से यह 27 फीसदी अधिक है। इस दौरान 7.5 से 8 करोड़ ग्राहकों ने ऑनलाइन खरीदारी की। रेडसीर ने कहा कि इस दौरान हर घंटे 56,000 मोबाइल बिके।
मोबाइल फोन की बिक्री इस साल सात गुना बढ़ी है। कुल बिक्री में मोबाइल फोन की हिस्सेदारी 41 फीसदी रही है। फैशन का योगदान 20 फीसदी है। यह पिछले साल की तुलना में 48 फीसदी ज्यादा है। इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की बिक्री में पांच गुना का इजाफा हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल खरीदारों में 65 फीसदी छोटे शहरों के हैं। ऐसे ग्राहकों की संख्या में सालाना आधार पर 24 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई।
14फीसदी लोग ई-कॉमर्स साइटों से करेंगे खरीदारी
एक्सिस माई इंडिया के मुताबिक, 14 फीसदी लोग ई-कॉमर्स वेबसाइट से खरीदारी करेंगे। 78 फीसदी अपने घर के पास स्थानीय दुकानों से खरीदारी करेंगे। सर्वे के अनुसार, अक्तूबर में 58 फीसदी लोगों का खर्च बढ़ गया है। 44 फीसदी ने कहा कि वे कपड़ों की खरीदारी पर खर्च करेंगे, जबकि 8 फीसदी ने इलेक्ट्रॉनिक और मोबाइल फोन खरीदने की योजना बनाई है।
गतिविधियां छह माह के निचले स्तर पर
महंगाई के दबाव में देश की सेवा क्षेत्र की गतिविधियां सितंबर में छह महीने के निचले स्तर पर पहुंच गई हैं। इसके अलावा, प्रतिस्पर्धा बढ़ने के बीच नए व्यापार की वृदि्ध दर मार्च के बाद सबसे धीमी रही।एसएंडपी ग्लोबल इंडिया सेवा पीएमआई कारोबारी गतिविधि सूचकांक सितंबर में घटकर 54.3 पर आ गया। यह मार्च के बाद सबसे धीमी गति से विस्तार है। अगस्त में सेवा पीएमआई 57.2 रहा था।
हालांकि, यह लगातार 14वां महीना है, जब सेवा पीएमआई 50 से अधिक रहा है। पीएमआई (खरीद प्रबंधक सूचकांक) का 50 से अधिक रहना विस्तार और इससे नीचे का आंकड़ा संकुचन दिखाता है। एसएंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस की संयुक्त निदेशक पॉलियाना डी लीमा ने कहा, भारतीय सेवा क्षेत्र ने हाल के महीनों में कई बाधाओं को पार किया है। कीमतों के दबाव, प्रतिस्पर्धी माहौल व प्रतिकूल सार्वजनिक नीतियों से वृद्धि पर असर पड़ा है। रुपये में तेज गिरावट से भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अतिरिक्त चुनौतियां पैदा हुई हैं।