शारदीय नवरात्रि के सातवें दिन रविवार को श्रद्धालुओं ने माता कालरात्रि के दरबार में मत्था टेका। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र के कालिका गली स्थित दरबार में भोर से ही श्रद्धालु दर्शन पूजन के लिए कतारबद्ध होने लगे। कड़ी सुरक्षा के बीच अपनी बारी आने पर श्रद्धालुओं ने माता के जयकारे लगाते हुए दर्शन पूजन किया। श्रद्धालु ने नारियल, चुनरी, माला-फूल के साथ पूरे मनोयोग से मां की पूजा-अर्चना की।
दरबार को लेकर मान्यता है कि दर्शन पूजन करने वाले भक्तों की अकाल मौत नहीं होती है। इसके अलावा सुख समृद्धि भी मिलती है। इसके चलते अधिक से अधिक लोग दर्शन पूजन करने पहुंचते हैं। मां का स्वरूप जितना विकराल दिखता है उतना ही सौम्य भी है। मां से जो भी मांगा जाता है वह पूर्ण करती हैं। अंधकार का नाश करने वाली तथा काल से रक्षा करने वाली शुभंकरी देवी कालरात्रि के दर्शन पूजन से समस्त ग्रहों की भय और बाधा का नाश होता है। मां कालरात्रि का रूप भयानक है। सिर के बाल बिखरे हैं। गले की माला बिजली की तरह चमकती है। इनके तीन नेत्र हैं। इनके श्वास से अग्नि की ज्वालाएं निकलती हैं। मां का वाहन गर्दभ है।
सातवें दिन श्रद्धालुओं ने विश्वनाथ गली श्रीराम मंदिर परिसर स्थित सप्तम् भवानी गौरी का भी पूजन अर्चन किया। मां के इस रूप के साथ चौसट्ठी देवी, मां महिषासुर मर्दिनी मंदिर, काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर स्थित मां अन्नपूर्णा मंदिर, संकठा मंदिर, माता कालरात्रि देवी मंदिर, तारा मंदिर, सिद्धेश्वरी मंदिर और कमच्छा स्थित कामाख्या मंदिर में भी पूजन अर्चन के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती रही।