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1934 में काशी आए थे महात्मा गांधी, स्वच्छता को बताया स्वतंत्रता से ज्यादा महत्वपूर्ण

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महात्मा गांधी ने कहा था कि स्वतंत्रता से ज्यादा महत्वपूर्ण स्वच्छता है। बापू के इस कथन से जाहिर होता है कि निजी जीवन में वह स्वच्छता के कितने बड़े हिमायती थे। वह सिर्फ बाहरी स्वच्छता यानी घर, पड़ोस के ही पक्षधर नहीं थे। बल्कि उनका मानना था कि अगर मन साफ नहीं होगा तो अच्छे विचार आना असंभव है।

बापू ने स्वच्छ भारत का एक सपना देखा था, वह चाहते थे कि सभी नागरिक देश को स्वच्छ बनाने के लिए कार्य करें। बापू के इस अभियान को आगे बढ़ाते हुए मोदी सरकार ने 2014 में दो अक्तूबर से स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की थी।

सुरक्षित हैं महात्मा गांधी की प्रतिमाएं
जिले में तीन जगहों पर महात्मा गांधी की प्रतिमा स्थापित है। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, टाउनहॉल और मुकीमगंज स्थित गांधी चबूतरे पर बापू की प्रतिमा लगाई गई है। नगर निगम के अलावा भूस्वामी भी प्रतिमा की देखरेख करते हैं।

काशी में बापू ने गुजारा था एक सप्ताह
महात्मा गांधी 1934 में एक सप्ताह के लिए वाराणसी आए थे। बापू का काशी में एक सप्ताह बिताना काशी वासियों के लिए किसी सौभाग्य से कम नहीं था। बापू 26 जुलाई 1934 से दो अगस्त 1934 तक महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में रुके थे। वह अखिल भारतीय कांग्रेस कार्यकारिणी समिति तथा केंद्रीय हरिजन सेवक संघ के अधिवेशन में आए थे।

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