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आज अंर्तराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस है। हर साल 1 अक्टूबर को यह मनाया जाता है। आज पूरी दुनिया में वृद्धजनों के सम्मान और उनके देखभाल के प्रति जागरुकता बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस मनाया जा रहा है

अक्सर लोग रिटायरमेंट को बुढ़ापे की शुरुआत, आराम का वक्त और जीवन का आखिरी दौर मान कर शांत बैठ जाते हैं। हालांकि कुछ लोग ऐसे भी जो इसे जिंदगी का ठहराव नहीं, बल्कि नई जिंदगी का आगाज माना है। उम्र के चौथे पड़ाव में भी वो अदम्य जिजीविषा के साथ वो समाज में कुछ अच्छा करने में जुटे हुए हैं।

एसोसिएट प्रोफेसर पद से सेवानिवृत्त डॉ. झुमुर सेन गुप्ता
कैंसर को मात देकर कर रहीं जागरूक
आर्य महिला पीजी कॉलेज के बंगला विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर पद से सेवानिवृत्त डॉ. झुमुर सेन गुप्ता को जब अपने कैंसर की बीमारी का पता चला तो उन्होंने सांस्कृतिक गतिविधियों में व्यस्तता बढ़ा दी। हार न मानते हुए वह बच्चियाें को बंगला साहित्य का ज्ञान दे रहीं हैं। शिक्षा के साथ वो कैंसर जागरूक में भी जुटीं हैं। उन्हें बांग्लादेश का प्रतिष्ठित स्मारक सम्मान भी मिला है।

बनकट गांव निवासी अमरनाथ भाई
बच्चाें में बो रहे गांधी विचारधारा के बीज
बनकट गांव निवासी अमरनाथ भाई 92 साल के हैं। राजघाट स्थित सर्व सेवा संघ के अध्यक्ष पद से सेवानिवृत्त अमरनाथ आज भी बा-बापू पाठशाला में सक्रियता के साथ बच्चाें में गांधी विचारधारा के बीज बो रहे हैं। मलिन बस्ती के बच्चाें को योग-प्राणायाम भी सिखा रहे हैं। वह बताते हैं कि बच्चों के साथ घुल-मिलकर उन्हें पढ़ाने में बहुत सुकून मिलता है।

कर्नाटक निवासी विजया (75)
जिनसे थी सहारे की आस, वही छोड़ गए वृद्धाश्रम के पास
केस-वन

कर्नाटक निवासी विजया (75) की तीन बेटियां हैं। बेटा न होने की वजह से पति ने रिश्ता तोड़ दूसरी शादी कर ली। अकेले ही तीनों बेटियों का भरण-पोषण किया और सभी की शादी की। शरीर अशक्त हुआ तो वह बेटियों के पास गईं। वहां तिरस्कार मिला। एक रात बेटी ने घर से निकाल दिया। कुछ दिनों तक भीख मांग कर गुजारा किया। मोक्ष की कामना लेकर काशी पहुंचीं। राजघाट पुल से गंगा में छलांग लगा दी। मछुआरों ने उन्हें बचाकर पुलिस को सौंपा। इसके बाद से वृद्धाश्रम में जिंदगी काट रहीं हैं।

तमिलनाडु निवासी सुमन
केस-दो
तमिलनाडु निवासी सुमन (90) के दो बेटे व एक बेटी है। बेटे इंजीनियर तो बेटी सरकारी डॉक्टर है। हालांकि की बुढ़ापे में मां की दाल-रोटी और दवाएं तीनों बच्चों के लिए बोझ बन गईं। बहुओं ने मारपीट तक की। भोजन न मिलने पर सुमन ने पालतू कुत्ते की थाली से खाना भी खाया। घर से निकाले जाने के बाद सुमन मोक्ष के लिए काशी पहुंचीं। कई दिनों तक भीख मांग कर पेट भरा। एक दिन पुलिस ने उन्हें वृद्धाश्रम में दाखिल करा दिया। अब वृद्धाश्रम ही उनका एक मात्र सहारा है।

बेटे-बेटी पर भी दर्ज हो सकता है मुकदमा
डीसीपी काशी आरएस गौतम के अनुसार यदि कोई पुत्र या पुत्री अपने माता-पिता का भरण पोषण नहीं करता तो उसके खिलाफ भी मुकदमा दर्ज कराया जा सकता है। अधिवक्ता विकास सिंह के अनुसार यदि किसी प्रकार की कानूनी सहायता की आवश्यकता हो तो जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से निशुल्क विधिक सहायता उपलब्ध कराई जाती है।

 

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