नागपुर जिले के देवलापार में स्थित गोविज्ञान अनुसंधान केन्द्र की प्रधान वैद्य डॉ. नंदिनी भोजराज ने दावा किया कि पशुओं में फैल रहे लंपी रोग में गोमूत्र और आयुर्वेदिक उपचार कारगर है। उन्होंने कहा कि इसी के बदौलत देवलापार गोशाला के 850 पशु इस बीमारी से अछूते हैं।
दरअसल, हमारे देश में गोमूत्र, गोबर और आयुर्वेद के लाभों के बारे में सकारात्मक चर्चा के बजाय हमेशा राजनीतिक तथा नकारात्मक चर्चा होती है। गोमूत्र अब लंपी जैसी गंभीर बीमारी से लड़ने में मददगार साबित होने वाला है। देवलापार गोविज्ञान अनुसंधान केन्द्र की मुख्य बैद्य डॉ. नंदिनी भोजराज ने बताया कि स्वस्थ देशी गाय का उबालने के बाद ठंडा किया हुआ गोमूत्र लंपी से ग्रसित या लक्षणों वाले पशुओं को देने से उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ सकती है और वे लंपी से मुक्त हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि जो जानवर अभी तक इस बीमारी से पीड़ित नहीं हुए हैं, उन्हें इस इलाज के जरिए उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाकर लंपी रोग से लड़ सकते हैं।
डॉ. भोजराज ने बताया कि एक वर्ष से अधिक उम्र के पशुओं के लिए एक सौ मिलीलीटर गोमूत्र उबालना चाहिए। इसी प्रकार एक वर्ष से अधिक उम्र के बछड़ों के लिए 50 मिलीलीटर गोमूत्र उबालना चाहिए। इसके साथ ही नीम, अधुलसा, गुलवेल, हल्दी, अजन (अर्जुन) आधा किलो पत्ते खिलाना चाहिए। डॉ. भोजराज ने गौशालाओं को साफ सुधरा रखने पर जोर दिया। वैद्य ने बताया कि उन्होंने 2018-19 में इसी इलाज से पशुओं को लंपी रोग के प्रकोप से बचाया था। इस वर्ष भी देवलापर स्थित गौशाला में 850 गोजातीय पशु पूर्ण रूप से स्वस्थ हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को इस बारे में किसानों को उचित प्रशिक्षण देने के लिए एक अभियान चलाना चाहिए।