(35वां विश्व तंबाकू निषेध दिवस 31 मई पर विशेष)
सुरेन्द्र किशोरी
1987 से प्रत्येक वर्ष 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष भी 31 मई 2022 को 35वां विश्व तंबाकू निषेध दिवस है तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन ने थीम रखा है ”पर्यावरण के लिए खतरनाक है तंबाकू।” 1987 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा स्थापित विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर बड़े-बड़े कार्यक्रमों में बड़ी-बड़ी बातें होगी।
डब्लूएचओ द्वारा शुरू विश्व तंबाकू निषेध दिवस का मुख्य उद्देश्य है किसी भी रूप में तंबाकू का सेवन पूरी तरह से रोकने के प्रति लोगों को जागरुकता करना। इसके लिए प्रत्येक वर्ष अलग-अलग थीम तय किया जाता है लेकिन धरातल पर इस वैश्विक दिवस के उद्देश्य को लागू करने का सार्थक प्रयास हो नहीं होने के कारण तंबाकू के दुष्प्रभाव से पीड़ितों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। हालत यह है कि तमाम स्कूल-कॉलेज के आसपास का इलाका नशीले पदार्थों की बिक्री का गढ़ बन चुका है।
बेगूसराय के किसी भी कॉलेज के पास चले जाइए दुकानों में गंजा भरा सिगरेट जरूर मिल जाएगा और इसके पीने वालों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही हैं। इसी का प्रतिफल है कि 90 प्रतिशत से अधिक बीमारी तम्बाकू उत्पाद के सेवन से हो रही है, कैंसर रोगों का 40 प्रतिशत कारण तम्बाकू उत्पादों का सेवन है। भारत में प्रत्येक 24 घंटे में करीब 28 सौ लोग तम्बाकू सेवन के कारण कैंसर सहित अन्य रोगों से असमय मर रहे हैं।
तम्बाकू के धुएं में 60 से भी अधिक कैंसर जनक रसायन मौजूद है। प्रारंभिक अवस्था में कैंसर की पहचान एवं समुचित इलाज से मरीज ठीक हो सकता है। विश्व में एक मिनट में 17 लोग कैंसर रोगों के कारण मर रहे हैं। तम्बाकू उत्पादों का सेवन कर रहे लोग जागरूकता के अभाव में अपनी लत को छोड़ने के बदले निकोटीन के प्रभाव में इसके जाल में फंसते चले जाते हैं। तम्बाकू उत्पादों का सेवन मुंह, गला, फेफड़ा, लिवर, पैंक्रियाज, किडनी, पेशाब की थैली, बच्चेदानी सहित अन्य अंगों के कैंसर का प्रमुख कारण बन गया है।
यह मस्तिष्काघात, हृदयाघात, दम्मा, तपेदिक, सांस की गंभीर बीमारियां, हार्ट अटैक, डायबिटीज, उच्च रक्तचाप का भी प्रमुख कारण बनता जा रहा है। तंबाकू सेवन करने वालों की आधी आबादी बीमारियों की वजह से असमय मर रहे हैं। तम्बाकू सेवन से जुड़ी रोगों के इलाज में भारत का करीब 38 हजार करोड़ से भी अधिक धनराशि प्रति वर्ष खर्च हो रही है। कैंसर के 90 फीसदी पीड़ित मरीज, धूम्रपान, गुटखा, खैनी, बीड़ी, गुल समेत अन्य तम्बाकू उत्पादों के सेवन के पाए गए हैं।
तम्बाकू के धुएं में करीब सात हजार रसायन रहता है, जिसमें 250 से ज्यादा रसायन कैंसर, सांस की गम्भीर बीमारियों, हृदय रोगों सहित अन्य रोगों को जन्म देते है। तम्बाकू सेवन से प्रत्येक साल विश्व में 80 लाख से भी अधिक लोगों की असमय मृत्यु हो जाती है। सेकंड हैंड स्मोक (पैसिभ स्मोकिंग) विश्व में प्रति वर्ष लगभग नौ लाख लोगों की अकाल मृत्यु का कारण है। कैंसर विश्व स्तर पर हृदय रोगों के बाद असमय मृत्यु का दूसरा सबसे बड़ा कारण है। तंबाकू और धूम्रपान नहीं करने से 30 से 50 प्रतिशत कैंसर रोगों से मृत्यु को रोका जा सकता है।
तम्बाकू उत्पादों का सेवन 35 से 40 फीसदी कैंसर रोगों का कारण है। तंबाकू के उपयोग पर काबू सिर्फ विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाने से नहीं होगा, बल्कि इसके लिए सामूहिक रूप से प्रयास करना होगा। प्रशासन और समाज को मिलकर स्कूल, कॉलेज और अस्पताल के आसपास तंबाकू से जुड़ी सामानों की बिक्री पर रोक लगानी होगी। लेकिन हालत यह है कि कटप्पा अधिनियम के बावजूद अस्पताल के गेट, गांजा, भांग, सिगरेट, खैनी, गुटखा धड़ल्ले से बिक रहे हैं तो कॉलेज के आसपास का इलाका इन कारोबारियों के लिए सबसे सेफ और फायदेमंद है। कुल मिलाकर कहे तो अगर समाज सामने नहीं आया तो स्थिति दिनों दिन और भयावह होती चली जाएगी। क्योंकि तंबाकू जनित पदार्थ मनुष्य ही नहीं, तमाम जीव-जंतु, सजीव और पर्यावरण सबके लिए काफी खतरनाक है।