फर्जी नाम और पते पर पासपोर्ट बनवाने के मामले में डॉन अबु सलेम और ट्रेवल एजेंट परवेज आलम को सीबीआई की विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट समृद्धि मिश्रा ने तीन-तीन साल के कारावास की सजा मंगलवार को सुनाई है। कोर्ट ने अबू सलेम पर 10 हजार रुपये का जुर्माना भी किया है। वहीं परवेज आलम पर अबू सलेम व उसकी पत्नी समीरा जुमानी के लिए फर्जी पासपोर्ट बनवाने के आरोप में 35 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है।
इससे पहले आरोपी परवेज कोर्ट में हाजिर हुआ जबकि अन्य मामले में महाराष्ट्र की तलोजा जेल में बंद अबु सलेम को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट ने दोषियों को सजा सुनाते हुए कहा कि अबु सलेम ने विदेश यात्रा करने के लिए खुद का और पत्नी समीरा जुमानी का फर्जी पासपोर्ट बनवाने के लिए ट्रेवल एजेंट परवेज आलम की मदद ली। परवेज ने अबु सलेम का नाम अकील अहमद आजमी और समीरा की जगह सबीना आजमी लिखने के अलावा फर्जी दस्तावेज लगाकर पासपोर्ट का आवेदन किया जबकि परवेज यह जानता था कि वह गलत तथ्य दर्ज कर रहा है। परवेज ने एएसपी आजमगढ़ के फर्जी दस्तखत किए और मोहर लगाकर पासपोर्ट बनवाया।
सजा सुनाए जाने के बाद परवेज आलम की ओर से कोर्ट में अंतरिम जमानत की अर्जी देकर कहा गया कि उसे इस फैसले के खिलाफ सत्र अदालत में अपील दाखिल करनी है। लिहाजा अपील दायर करने की अवधि तक के लिए अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाए। इस पर कोर्ट ने उसकी अर्जी को स्वीकार करते हुए उसे 20-20 हजार रुपये की दो जमानतें प्रस्तुत करने पर अंतरिम जमानत पर रिहा कर दिया है।
यह है मामला
सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक दीप कुमार श्रीवास्तव ने कोर्ट में बताया कि वर्ष 1993 में मुंबई बम ब्लास्ट मामले की जांच में पता चला था कि अबु सलेम ने लखनऊ पासपोर्ट कार्यालय में साथी परवेज आलम और समीरा जुमानी के साथ मिलकर षड्यंत्र किया। उसने यहां से फर्जी नाम-पते के कूटरचित दस्तावेज के जरिए पासपोर्ट हासिल किया। बाद में सलेम ने इस पासपोर्ट का इस्तेमाल किया। इस मामले की विवेचना सीबीआई सौंपी गई थी।