भारतीय वायुसेना में लड़ाकू महिला पायलटों का दबदबा लगातार बढ़ रहा है। इस समय देश की आसमानी सेना के पास 11 महिला लड़ाकू पायलट हैं। महिला पायलटों को पूर्वोत्तर में चीन के खिलाफ एलएसी पर तैनात किया गया है। यह महिला पायलट अरुणाचल प्रदेश और असम के पूर्वी क्षेत्र में फाइटर जेट और लड़ाकू हेलीकॉप्टर उड़ा रहीं हैं। इसके अलावा दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन ग्लेशियर सेक्टर की भी जिम्मेदारी महिला लड़ाकू पायलटों को सौंपी गई है।
भारतीय वायुसेना की कुल 11 महिला फाइटर पायलट को सुपरसोनिक जेट उड़ाने की ट्रेनिंग मिल चुकी है। जून, 2016 में पहली बार तीन महिला लड़ाकू विमान पायलटों भावना कंठ, अवनी चतुर्वेदी और मोहना सिंह को लड़ाकू बेड़े में शामिल किया गया था। भावना कांत ने 2018 में अकेले 30 मिनट तक लड़ाकू विमान मिग-21 उड़ाकर इतिहास रचा था। फ्लाइंग ऑफिसर अवनी चतुर्वेदी मिग-21 बाइसन अकेले उड़ाकर दूसरी महिला पायलट बनीं। सितम्बर, 2020 में मिग उड़ाने का अच्छा अनुभव रखने वाली फ्लाइट लेफ्टिनेंट शिवांगी सिंह को देश का बाहुबली विमान राफेल उड़ाने के लिए चुना गया। जून, 2021 में 11वीं महिला फाइटर पायलट के रूप में माव्या सूदन वायु सेना को मिलीं।
भारतीय वायुसेना में महिला पायलटों और ग्राउंड क्रू की बढ़ती संख्या के बीच महिलाएं अरुणाचल प्रदेश और असम के पूर्वी क्षेत्र में बड़े पैमाने पर लड़ाकू विमानों और एएलएच ध्रुव मार्क-3 हेलीकॉप्टरों का संचालन कर रही हैं। भारतीय वायुसेना की महिला पायलट और ग्राउंड क्रू अधिकारी देश भर में तैनात हैं। दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन ग्लेशियर सेक्टर से लेकर अरुणाचल प्रदेश के विजयनगर में पूर्वी लैंडिंग ग्राउंड तक यह महिला अधिकारी कार्यरत हैं। फाइटर जेट सुखोई-30 एमकेआई फ्लीट की ऑपरेटर फ्लाइट लेफ्टिनेंट तेजस्वी ने कहा कि लड़ाकू विमानों के बेड़े में महिलाओं का होना अब कोई अनूठा अनुभव नहीं है। पुरुषों के साथ हम समान पायदान पर हैं और आसमान में हम सभी महत्वपूर्ण वायु योद्धा हैं।
वायुसेना ने फ्लाइट लेफ्टिनेंट एनी अवस्थी और ए नैन को पूर्वोत्तर में चीन के खिलाफ एलएसी पर तैनात किया है। यह महिला पायलट अब नियमित रूप से अरुणाचल प्रदेश और असम के पूर्वी क्षेत्र के घने जंगलों और एलएसी के करीब एएलएच ध्रुव मार्क-3 हेलीकॉप्टर उड़ाती हैं। पूर्वी कमान के एक अधिकारी ने कहा कि भारतीय वायुसेना में हमारे लिए वे पहली महिला वायु योद्धा हैं, जो सौंपे गए कार्यों और हवाई संपत्ति को अच्छी तरह से संभाल रही हैं। वायु सेना में ‘स्त्री शक्ति’ को और बढ़ावा देने की सरकारी नीति और ‘अग्निवीर’ योजना में महिलाओं को एयरमैन के रूप में शामिल करने की संभावना के मद्देनजर इनकी संख्या और बढ़ने की संभावना है।