पीएफआई (पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया) के खिलाफ एनआईए की कार्रवाई जारी है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, एक संयुक्त ऑपरेशन में प्रदेश भर में यूपी एटीएस व यूपी एसटीएफ के सात नेताओं को हिरासत में लिया गया है। वहीं, एटीएस व एनआई ने गाजियाबाद से 12 एजेंट को गिरफ्तार किया है।
इसके पहले, एनआईए ने टेरर फंडिंग पर शिकंजा कसने के लिए देश भर में छापेमारी की थी। इस कार्रवाई में छापेमारी के दौरान 100 से अधिक पीएफआई के सदस्यों को हिरासत में लिया गया है।
गाजियाबाद से पीएफआई के 12 एजेंट गिरफ्तार
एटीएस और एनआईए ने गांव कलछीना में मारा छापा। इसी गांव का परवेज पीएफआई का पश्चिमी यूपी प्रभारी है। चार दिन पहले उसके घर छापा पड़ा था। वह हाथ नहीं आया था। उसने ही इन लोगों को पीएफआई से जोड़ा। मोदीनगर थाने में सभी से पूछताछ की जा रही है।
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) क्या है?
पॉपुलर फ्रट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई का गठन 17 फरवरी 2007 को हुआ था। ये संगठन दक्षिण भारत में तीन मुस्लिम संगठनों का विलय करके बना था। इनमें केरल का नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट, कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी और तमिलनाडु का मनिथा नीति पसराई शामिल थे।
पीएफआई का दावा है कि इस वक्त देश के 23 राज्यों में यह संगठन सक्रिय है। देश में स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट यानी सिमी पर बैन लगने के बाद पीएफआई का विस्तार तेजी से हुआ है। कर्नाटक, केरल जैसे दक्षिण भारतीय राज्यों में इस संगठन की काफी पकड़ बताई जाती है। इसकी कई शाखाएं भी हैं।
इसमें महिलाओं के लिए- नेशनल वीमेंस फ्रंट और विद्यार्थियों के लिए कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया जैसे संगठन शामिल हैं। यहां तक कि राजनीतिक पार्टियां चुनाव के वक्त एक दूसरे पर मुस्लिम मतदाताओं का समर्थन पाने के लिए पीएफआई की मदद लेने का भी आरोप लगाती हैं। गठन के बाद से ही पीएफआई पर समाज विरोधी और देश विरोधी गतिविधियां करने के आरोप लगते रहते हैं।