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बिजली कनेक्शन के लिए वसूली गई ज्यादा रकम 21 अक्तूबर तक लौटाने के आदेश

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राज्य बिजली बोर्ड ने प्रदेश विद्युत नियामक आयोग को 33 फीसदी तक दरें बढ़ाने का प्रस्ताव भेजा है।

राज्य विद्युत नियामक आयोग ने बिजली कनेक्शन के लिए कास्ट डाटा बुक में तय दर से ज्यादा वसूल की गई रकम 21 अक्तूबर तक लौटाने के आदेश बिजली कंपनियों को दिए हैं। नियामक आयोग इस मनमानी पर कड़ा रुख अपनाते हुए पावर कार्पोरेशन के अध्यक्ष समेत सभी बिजली कंपनियों के प्रबंध निदेशकों को 21 अक्तूबर को व्यक्तिगत रूप से तलब किया है।

यह पहला मौका है जब आयोग ने बिजली कंपनियों के शीर्ष प्रबंधन से जुड़े छह आईएएस अफसरों को एक साथ विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 142 के तहत नोटिस जारी किया है। इस धारा के तहत आयोग के आदेशों के उल्लंघन पर व्यक्तिगत रूप से एक लाख रुपये तक जुर्माना लगाने का प्रावधान है।

राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने सोमवार को आयोग में इस मामले पर आयोग में एक लोक महत्व की अवमानना याचिका दाखिल की। इसमें बिजली कंपनियों पर नियामक आयोग के आदेश के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ  विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 142 व 146 के तहत कार्यवाही शुरू करने की मांग की गई है। साथ ही बिजली कनेक्शन के लिए उपभोक्ताओं से ज्यादा एस्टीमेट के जरिए वसूल की गई अतिरिक्त धनराशि ब्याज समेत वापस दिलाने की मांग भी की गई।

नियामक आयोग के अध्यक्ष आरपी सिंह ने इसे आयोग के आदेश की अवहेलना मानते हुए सचिव को उपभोक्ता परिषद की याचिका पर स्वत: संज्ञान कार्यवाही का निर्देश दिया। इसके बाद आयोग के सचिव संजय कुमार सिंह ने पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष, प्रबंध निदेशक व सभी बिजली कंपनियों के एमडी को नोटिस जारी करके 21 अक्तूबर को व्यक्तिगत रूप से आयोग में तलब किया है। साथ ही आयोग ने सभी बिजली कंपनियों को आदेश दिया है कि जिन विद्युत उपभोक्ताओं से कास्ट डाटा बुक के विपरीत जाकर अधिक वसूली की गई है उन्हें बिना देरी किए पूरा पैसा 21 अक्तूबर तक वापस किया जाए। अधिकारियों को 21 अक्तूबर को सुनवाई के वक्त आदेश के अनुपालन की स्थिति से अवगत कराने को कहा गया है।

नोटिस में आयोग ने बिजली कंपनियों को आड़े हाथ लेते हुए नाराजगी भरे लहजे में कहा है कि जिस प्रकार आयोग के आदेश का उल्लंघन किया गया है वह अवमानना की श्रेणी में आता है जिसे  माफ  नहीं किया जा सकता। यह किसी आदेश का उल्लंघन नहीं बल्कि कास्ट डाटा बुक का उल्लंघन है जो रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के तहत एक कानून है।

उपभोक्ताओं की जेब पर डाका

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा बिजली कंपनियों ने अपने ऑनलाइन सॉफ्टवेयर ईआरपी में जिस प्रकार से आयोग आदेश को हटाकर नियम विरुद्ध गलत आदेश डाला है वह उपभोक्ताओं की जेब पर डाका डालने जैसा है। इसके जरिए उपभोक्ताओं का बडे पैमाने पर शोषण किया गया है। इतना ही नहीं किसानों से कनेक्शन के एस्टीमेट पर 18 प्रतिशत जीएसटी भी वसूल लिया गया जबकि उनके लिए जीएसटी शून्य है। अन्य उपभोक्ताओं से जीएसटी के मद में 39 प्रतिशत तक वसूली की गई है। यह बहुत ही गंभीर मामला है क्योंकि गलत ढंग से 100 करोड़ रुपये से ज्यादा की वसूली की गई है। पावर कार्पोरेशन व बिजली कंपनियों के प्रबंधन के बार-बार संज्ञान में लाने के बाद भी कोई कदम न उठाया जाना यह साबित करता है कि अधिकारी उपभोक्ताओं को लेकर कतई संवेदनशील नहीं है। उन्होंने कहा कि जल्द ही परिषद मुख्यमंत्री से भी मिलकर बिजली कंपनियों के खिलाफ  कड़ी कार्रवाई की मांग करेगा।

दोषी अफसरों को जेल भेजा जाए

उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा आयोग के आदेशों की अनदेखी कर उपभोक्ताओं से कनेक्शन  के लिए मनमाने ढंग से पैसा वसूल करने वाले बिजली कंपनियों के प्रबंधन के खिलाफ विद्युत अधिनियम की धारा 142 के साथ-साथ धारा 146 के तहत भी कार्रवाई होनी चाहिए। धारा 146 में आयोग के आदेश की अवमानना पर तीन महीने की कैद का प्रावधान है।

 

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