केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज बिहार के किशनगंज में आज़ादी के अमृत महोत्सव पर आयोजित‘सुंदर सुभूमि कार्यक्रम को संबोधित किया।
इस अवसर पर अमित शाह ने स्वतंत्रता सेनानी श्री भृगु नाथ शर्मा जी और स्वतंत्रता सेनानियों स्वर्गीय श्री गोपाल राय वैद्य और स्वर्गीय श्री लाल रंजन राय द्वारा स्वतंत्रता संग्राम में दिए गए योगदान के लिए उनके परिजनों को भी सम्मानित किया।
इस अवसर पर अपने संबोधन में श्री अमित शाह ने कहा कि आज़ादी का अमृत महोत्सव एक ऐसा पल है जो इतिहास में दोबारा नहीं आएगा। उन्होंने कहा कि हम सभी सौभाग्यशाली हैं कि हम उस वर्ष में हैं जिसे आज़ादी के अमृत महोत्सव के रूप में जाना जाता है। उन्होंने कहा कि सैकड़ों वर्षों की ग़ुलामी, अनगिनत लोगों के बलिदान और 1857 से 1947 तक 90 सालों के लंबे स्वाधीनता संघर्ष के बाद जब देश आज़ाद हुआ तब लोगों के मन में कई अपेक्षाएं और सपने थे। देश के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वालों ने हमेशा यही सोचा कि अगर हमारे बलिदान से देश को आज़ादी मिलती है तो ये हमारे जीवन का सही अर्थ है और ऐसे ही लोगों के बलिदान से ये देश आज़ाद हुआ। श्री शाह ने कहा कि 75 सालों की अब तक की ये यात्रा हमने बहुत गौरव के साथ पूरी की है, लेकिन आज़ादीके 75वें साल में एक बहुत बड़ी उपलब्धि देश ने हासिल की है। उन्होंने कहा कि 2014 में देश की अर्थव्यवस्था विश्व में 11वें स्थान पर थी और आज़ादी के अमृत महोत्सव के इस वर्ष में हमारी अर्थव्यवस्था इंग्लैंड को पीछे छोड़कर विश्व में पांचवें स्थान पर आ गई है। उन्होंने कहा कि आज भारत ने पूरी दुनिया को बता दिया है कि 75 सालों में हमने अपने पुरूषार्थ और धैर्य से अंग्रेज़ों से आगे निकल कर आज़ादी को सार्थक करने का काम किया है।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाने के तीन लक्ष्य देशवासियों के सामने रखे। पहला, हमारे स्वतंत्रता संग्राम के जाने-अनजाने सेनानियों के इतिहास से देश की नई पीढ़ी को परिचित कराकर देशभक्ति की भावना जागृत करना। उन्होंने कहा कि बिहार के ही 85 साल के वीर बाबू कुंवर सिंह थे जिन्होंने 1857 की क्रांति के दौरान कई बार अंग्रेज़ों को हराया और अपनी अंतिम सांस तक देश को आज़ाद कराने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया भारत को सोने की चिड़िया के नाम से जानती थी। तक्षशिला, विक्रमादित्य और नालंदा में दुनियाभर से लोग मेडिकल साइंस, इंजीनियरिंग, वेद, उपनिषद और विश्वव की कई भाषाओं का व्याकरण पढ़ने के लिए आते थे। देश को उसी स्थान पर पहुंचाने के लिए देश के वीर सपूतों ने अपने प्राणों का बलिदान दिया। उन्होंने कहा कि क्या हम सब एकसाथ ऐसा कर सकते हैं जिससे देश को महान बनाने की प्रक्रिया में और तेज़ी आए और जब देश महान बनता है तब हम सब महान बनते हैं। जब भारत महान बनता है तो हर भारतीय महान बनता है।
श्री अमित शाह ने कहा कि आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाने का दूसरा उद्देश्य था कि 75 साल में हमने जो हासिल किया है उसका हम गौरवगान करें और इसके लिए जिन लोगों ने योगदान दिया है, उन्हें याद करें। जब हम आजाद हुए हम सुई भी नहीं बनाते थे लेकिन अब मंगल ग्रह तक यान भेजने वाला हमारा भारत बन चुका है।इन 75 सालों की यात्रा में हमारे लोकतंत्र की जड़ें बहुत गहरी हुईं, देश में अनेक बार में बिना किसी रक्तपात के सत्ता परिवर्तन हुआ। पूरी दुनिया में हमने मिसाल कायम की कि भारत में जब भी सत्ता परिवर्तन हुआ, खून का एक कतरा भी नहीं बहा। श्री शाह ने कहा कि आज़ादी के अमृत महोत्सव का तीसरा लक्ष्य है कि जब 2047 में देश की आजादी की शताब्दी मनाई जाएगी तो 75 साल से 100 साल के बीच का समय अमृत काल के रूप में मनाया जाएगा। इस अमृत काल में हर क्षेत्र में देश कहां होगा, यह लक्ष्य तय करना है। उन्होंने कहा कि यह अमृत काल देश की जनता के लिए अपने लक्ष्य तय करने का अमृत काल है। देश के लक्ष्य तब तय होते हैं जब 130 करोड़ जनता अपने लक्ष्य करती है। उन्होंने सभी युवाओं से कहा कि अपने जीवन का एक लक्ष्य जरूर तय करें, एक संकल्प जरूर लीजिए, चाहे वह संकल्प सिर्फ आपके लिए हो। अगर 130 करोड़ लोग एक एक संकल्प लेते हैं तो देश 130 करोड़ कदम एक साथ आगे बढ़ता है और बहुत बड़ी ताकत बनता है। यह आजादी का अमृत काल देश और देश के 130 करोड़ नागरिकों के लिए संकल्प लेने का समय है।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि जब आजादी की शताब्दी मनाई जाएगी तब हम में से कई लोग नहीं होंगे लेकिन आप जरूर होंगे। आप ऐसे भारत के नागरिक होगे जिस भारत पर हर भारतीय गर्व करेगा और इसके लिए एक सामूहिक पुरुषार्थ, सामूहिक संकल्पवान राष्ट्र और एक दिशा में काम करने वाले 130 करोड़ लोगों द्वारा एक दिशा में अपना पुरुषार्थ करने की जरूरत है, इसीलिए आजादी का अमृत महोत्सव बनाने का निर्णय लिया गया है।