निर्माता निर्देशक आर बाल्की की फिल्म ‘चुप- रिवेंज ऑफ द आर्टिस्ट’ सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है। इस फिल्म की कहानी उन फिल्म समीक्षकों की हत्याओं के बारे में है जिन्होंने अपनी समीक्षाओं में उम्मीद के विपरीत स्टार्स दिए। कहानी इन फिल्म समीक्षकों की हत्या करने वाले कातिल की तलाश के बारे में है। फिल्म में सनी देओल मुंबई पुलिस क्राइम ब्रांच के वह अफसर बने हैं जिनकी नाक के नीचे एक के बाद एक कत्ल होते रहते हैं। फिल्म के प्रीमियर के समय फिल्म दिखाने से पहले ‘चुप’ के निर्माताओं ने मुंबई के निर्देशकों राज एंड डीके, अनीस बज्मी, अलंकृता श्रीवास्तव के साथ कुछ फिल्म समीक्षकों की इस मसले पर बहस भी आयोजित की। लेकिन, क्या आपको पता है कि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में कुछ ऐसे भी मौके आए हैं जब किसी फिल्मकार या कलाकार ने किसी फिल्म समीक्षक की समीक्षा पढ़कर सीधे मोर्चा खोला हो? चलिए आपको ऐसे पांच किस्सों के बारे में बताते हैं…
फिल्म: भूतनाथ
अमिताभ बच्चन वर्सेज खालिद मोहम्मद
फिल्म ‘भूतनाथ’ साल 2008 में प्रदर्शित हुई। इस फिल्म में अमिताभ बच्चन, जूही चावला और शाहरुख खान की मुख्य भूमिकाएं थी। फिल्म समीक्षक खालिद मोहम्मद ने इस फिल्म की समीक्षा लिखते समय अमिताभ बच्चन को एक खुली चिट्ठी लिखी और उसमें अमिताभ के इस फिल्म में किए गए अभिनय को लेकर तमाम ऐसी बातें लिखीं जो अमिताभ बच्चन पर सीधा सीधा व्यक्तिगत हमला दिखती थीं। एक अंग्रेजी अखबार में छपे इस रिव्यू को पढ़ने के बाद अमिताभ बच्चन ने एक लंबा ब्लॉग लिखा। और, अपने घर पर खालिद के आने, खाने की टेबल पर पसरे रहने, महंगी वाइन पीने जैसी तमाम ऐसी निजी बातें लिख डालीं, जो उनके कद की शख्सीयत से अपेक्षित नहीं थी। खालिद की इस चक्कर में अंग्रेजी अखबार की नौकरी भी चली गई।
फिल्म: लव के लिए कुछ भी करेगा
रामगोपाल वर्मा वर्सेज खालिद मोहम्मद
खालिद मोहम्मद लंबे समय तक फिल्मफेयर मैगजीन के संपादक रहे हैं। बाद में वह कुछ अंग्रेजी अखबारों में एंटरटेनमेंट एडीटर भी रहे। फिल्म क्रिटिक के तौर पर खालिद ने राम गोपाल वर्मा पर भी खूब निशाना साधा। बताते हैं कि इसी से चिढ़कर राम गोपाल वर्मा ने साल 2001 में रिलीज अपनी फिल्म ‘लव के लिए कुछ भी करेगा’ में खालिद मोहम्मद के नाम के दो टुकड़े कर दिए। फिल्म फरदीन खान का नाम खालिद और आफताब शिवदासानी का नाम उन्होंने मोहम्मद रख दिया था। दोनों किरदारों को लेकर भी रामगोपाल वर्मा ने फिल्म में खूब मजे लिए।
फिल्म: लव लव लव
बी सुभाष वर्सेस खालिद मोहम्मद
मिथुन चक्रवर्ती की लाइफ बदल देने वाली फिल्म ‘डिस्को डांसर’ बनाने वाले निर्देशक बी सुभाष के निर्देशन में बनी आमिर खान और जूही चावला अभिनीत फिल्म ‘लव लव लव’ 1989 में रिलीज हुई। इस फिल्म की समीक्षा की खालिद मोहम्मद ने हेडलाइन लगाई, ‘अवॉइड अवॉइड अवॉइड’। इसे पढ़कर बी सुभाष भड़क गए और उन्होंने दलील दी कि एक समीक्षक को फिल्म की आलोचना करने, उसकी खामियां गिनाने का पूरा अधिकार है, लेकिन एक समीक्षक को दर्शकों को फिल्म देखने से मना नहीं करना चाहिए। बी सुभाष ने उन दिनों इसे लेकर बाकायदा एक सार्वजनिक बयान भी जारी किया था।
फिल्म: एक मैं और एक तू
रवि टंडन वर्सेज इंद्र मोहन पन्नू
अभिनेत्री रवीना टंडन के भाई राजीव टंडन भी फिल्मों में हीरो बनने की कोशिश कर चुके हैं। दोनों के पिता रवि टंडन के निर्देशन में बनी फिल्म ‘एक मैं और एक तू’ साल 1986 में प्रदर्शित हुई राजीव टंडन के साथ इस फिल्म में अभिनेत्री रंजीता की बहन रुबीना हीरोइन थीं। पत्रकार और फिल्म समीक्षक इंद्र मोहन पन्नू ने उन दिनों फिल्म सिटी पत्रिका में इसकी समीक्षा लिखी। समीक्षा में रुबीना के बारे में लिखा था कि हीरोइन को अभी बहुत मेहनत करने की जरूरत है। बस ये रिव्यू पढ़कर रुबीना ने इंद्र मोहन पन्नू को फोन कर दिया। इंद्र मोहन पन्नू अब भी फिल्म पत्रकारिता में सक्रिय हैं। रुबीना का उस फिल्म के बाद कहीं पता नहीं चला।
फिल्म: सलमा
बी आर चोपड़ा वर्सेज तरण आदर्श
मशहूर निर्माता निर्देशक रामानंद सागर के निर्देशन में बनी फिल्म ‘सलमा’ साल 1985 में प्रदर्शित हुई। इस फिल्म में राज बब्बर,सलमा आगा और फारुख शेख की मुख्य भूमिकाएं थी। इस फिल्म की समीक्षा में पत्रिका ट्रेड मैगजीन के संपादक बी के आदर्श ने फिल्म ‘सलमा’ की तुलना बी आर चोपड़ा निर्देशित ‘निकाह’ से करते हुए कहा लिखा था कि फिल्म ‘सलमा’ फिल्म ‘निकाह’ से बड़ी हिट होगी। उन्होंने लिखा, ‘अगर ‘निकाह’ शक्कर है तो ‘सलमा’ शहद। इस समीक्षा को पढ़कर बी आर चोपड़ा भड़क गए। उन्होंने कहा कि तुम्हें ”सलमा की समीक्षा जैसी भी लिखनी है लिखो। लेकिन मेरी फिल्म से तुलना करके मेरी फिल्म को नीचा क्यों दिखा रहे हो?