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हिमाचल की पहाड़ियों पर तिरंगा फहरा आजाद ने रचा इतिहास: दुनिया के सबसे ऊंचे पोस्ट ऑफिस, आखिरी गांव तक पहुंचे

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आजाद- द रे ऑफ होप संस्था

आजाद द रे ऑफ होप संस्था के युवा सदस्यों ने आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर अमृत महोत्सव के तहत लगातार दूसरे साल तिरंगा बाइक रैली से नया कीर्तिमान स्थापित किया है। 2021 में लेह-लद्दाख में 40 से ज्यादा सदस्यों ने पांच दिन में 1400 किमी की तिरंगा यात्रा निकाली थी। इस बार भी 20 बाइक पर सवार 40 सदस्यों ने हिमाचल के दूरगामी इलाकों तक तिरंगा बाइक रैली से कुल 1200 किमी की दूरी तय कर नया कीर्तिमान बनाया है। हिमाचल में निकाली गई इस तिरंगा बाइक रैली के दौरान आजाद के सदस्य हिक्किम में मौजूद दुनिया के सबसे ऊंचे पोस्ट ऑफिस, देश में सबसे ऊंचाई पर स्थित कोमिक गांव, चेचम में दुनिया के सबसे ऊंचे रोप-वे पुल, देश के सीमावर्ती आखिरी गांव चिटकुल, दुनिया में सर्वाधिक ऊंचाई पर 10 किमी सबसे लम्बे सुरंग अटल टनल सहित हिमाचल के सुदूरवर्ती चंद्रताल तक पहुंच कर तिरंगा फहराया।

बाइक से तिरंगा फहरा आजाद ने रचा इतिहास
इस यात्रा में वाराणसी के एक दर्जन से ज्यादा युवाओं के साथ उत्तर प्रदेश, नई दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात, बिहार, असम, हरियाणा आदि राज्यों के भी आजाद सदस्य शामिल थे। आजाद तिरंगा बाइक रैली के नेतृत्वकर्ता अनुज पाण्डेय, यूपी प्रमुख अखिल आनंद ने बताया कि तिरंगा यात्रा की शुरूआत 2 सितंबर को दिल्ली से हुई। जिसमें मनाली से बाइक पर सवार होकर इन सभी जगहों तक हम पहुंचे। सबसे ज्यादा खुशी हमें कूल्लू स्थित आईटीबीपी इंडो तिब्बतन बॉर्डर पुलिस के बटालियन कैम्प पहुंचने पर हुई जहां 250 जवानों आजाद सदस्यों को गर्मजोशी के साथ भव्य स्वागत किया।
इसके अलावा आईटीबीपी के सीमावर्ती आखिरी पोस्ट मस्तरंग में भी आजाद सदस्यों को आने का आमंत्रण मिला। इस पोस्ट पर तैयार जवानों ने अपनी रसद से आजाद टीम के 35 सदस्यों के लिए अपने हाथों से दोपहर का भोजन पकाया था, जिसका स्वाद हम कभी नहीं भूल सकते। इस पोस्ट पर सीओ राम चरण और सेकेंड आईसी ज्योति सिंह ने जिस आत्मीयता से आजाद सदस्यों का स्वागत किया, वह हर किसी के लिए अकल्पनीय था। कूल्लू स्थित आईटीबीपी कैम्प तथा मस्तरंग पोस्ट पर आजाद सदस्यों के स्वागत के समाचार को आईटीबीपी के अधिकारियों ने अपने ऑफिशियल टिवटर हैंडल पर पोस्ट भी किया है। ये आजाद सदस्यों के लिए बड़े ही सम्मान की बात थी।

तिरंगा यात्रा में टीम के सदस्यों ने कुल्लू, जिब्भी, कल्पा, मस्तरंग, 11480 फीट पर स्थित देश के आखिरी गांव चिटकुल, किन्नौर, चंद्रताल आदि जगहों तक पहुंचे। चिटकुल गांव के प्रधान मोहन नेगी तथा उप प्रधान रमेश कुमार ने सभी का स्वागत किया और अपनी आराध्य देवी माता चिटकुल के मंदिर में सभी को दर्शन भी कराया। यात्रा में सबसे दुश्कर परिस्थितियों का सामना चंद्रताल पहुंचने में करना पड़ा। पहाड़ के पथरीले रास्तों से होते हुए सदस्य बेहद कठिनाइयों का सामना करते हुए चंद्रताल पहुंचे। यहां आक्सीजन की कमी से अधिकांश सदस्यों की तबीयत भी खराब हुई।
हालांकि वहां प्राकृतिक सौंदर्य ने सभी में नई ऊर्जा का संचार किया। इस यात्रा में महाराष्ट्र टीम का नेतृत्व सचिन पवार ने, असम टीम का समीरन बोरा ने, हरियाणा के धीरज पोपली ने, उत्तर प्रदेश टीम का नेतृत्व आशुतोष एवं अनुज वर्मा ने किया। पूरी यात्रा के दौरान सदस्यों ने मनाली, कुल्लू, रामपुर, शिमला, किन्नौर, लाहौल, स्पीति आदि जिलों को कवर किया। बता दें कि गत वर्ष की आजाद की लेह-लद्दाख तिरंगा यात्रा को इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में स्थान मिल चुका है। इस बार की यात्रा को गिनीज बुक ऑफ वल्डर रिकॉर्ड तथा लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में स्थान देने के लिए पेश किया जा रहा है। यात्रा में वाराणसी के एक दर्जन से ज्यादा युवा शामिल थे।

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