आईपीएस बनने के बाद अफसरों की सबसे बड़ी तमन्ना होती है डीजी बनने की, लेकिन डीजी रैंक में वैकेंसी न होने से कई अफसरों का सपना अधूरा रह जाता है। इस साल जून में जहां सभी अर्हताएं पूरी करने के बावजूद हरिराम शर्मा डीजी बनने से पहले रिटायर हो गए वहीं आने वाले एक साल ऐसे चार और अफसर बिना डीजी रैंक में पहुंचे ही सेवानिवृत्त हो जाएंगे।
दरअसल प्रदेश में डीजी रैंक के लिए 7 काडर पोस्ट हैं। एक्स काडर पोस्ट के तौर पर अधिकतम सात और डीजी रैंक में शामिल हो सकते हैं। यानी कुल 14 अफसर ही एक समय में प्रदेश में डीजी रह सकते हैं। मौजूदा समय में यह संख्या पूरी है और इस वर्ष अब किसी अधिकारी का रिटायरमेंट भी नहीं होने वाला। नियमों के तहत 30 साल की सेवा अवधि पूरी करने और कैरेक्टर रोल में किसी तरह की एडवर्स इंट्री न होने पर डीजी रैंक के लिए अफसर उपयुक्त होता है।
मौजूदा समय में 19 अफसर ऐसे हैं जो डीजी बनने के लिए अर्ह हैं। लेकिन वैकेंसी न होने के कारण इन्हें कम से कम दो से तीन साल तक का इंतजार करना पड़ेगा। कुल मिलाकर चार ऐसे अफसर हैं जो डीजी बनने से पहले अगले एक साल में रिटायर हो जाएंगे। इसमें सीबीसीआईडी में एडीजी दावा शेरपा और प्रयागराज के एडीजी प्रेम प्रकाश दिसंबर में एडीजी रैंक से ही रिटायर हो रहे हैं।
वहीं अगले साल फरवरी में लखनऊ जोन के एडीजी ब्रजभूषण और अक्तूबर माह में कानपुर के पुलिस आयुक्त बीपी जोगदंड भी डीजी बनने से पहले ही रिटायर हो जाएंगे। इन अफसरों को प्रमोशन देने के लिए स्पेशल डीजी बनाए जाने की कवायद शुरू हुई तो लेकिन यह परवान नहीं चढ़ सकी।