सुप्रीम कोर्ट आज कर्नाटक हिजाब मामले सुनवाई करेगा। जस्टिस हेमंत गुप्ता की अध्यक्षता वाली बेंच सुनवाई करेगी। आज इस मामले की सुनवाई का आठवां दिन है।
19 सितंबर को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि मामला सिर्फ ड्रेस कोड का नहीं है, यहां मंशा दूसरी है। सरकार ये ड्रेस कोड थोप कर मुस्लिम समुदाय को बताना चाहती है कि जो हम कहेंगे, वो आपको करना होगा। हिजाब पहनकर हमने किसी की भावना को आहत नहीं किया है। दवे ने सरदार पटेल की संविधान सभा में दिए गए भाषण का हवाला देते हुए कहा कि उनका कहना था कि इससे अच्छा कुछ नहीं हो सकता कि अल्पसंख्यकों का बहुसंख्यकों पर विश्वास बना रहे। आजकल लोग गांधी को भूलकर सरदार पटेल की बात करते हैं, लेकिन उन्हें पता होना चाहिए कि सरदार पटेल खुद बहुत धर्मनिरपेक्ष थे।
दुष्यंत दवे ने कहा कि इस्लामिक देशों में दस हज़ार से ज़्यादा आत्मघाती हमले हुए है, लेकिन भारत में सिर्फ एक ऐसा हमला हुआ है। ये दर्शाता है कि अल्पसंख्यक समुदाय को इस देश पर यकीन है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री हर अहम मौके पर स्वतंत्रता दिवस पर भी विभिन्न राज्यों की पगड़ी पहनते हैं। ये देश की विविधता और खूबसूरती को दर्शाता है।
सुनवाई के दौरान 15 सितंबर को वकील शोएब आलम ने कहा था कि हिजाब व्यक्तिगत पहचान से जुड़ा हुआ है। राज्य ये नहीं कह सकता है कि हम आपको शिक्षा देंगे और आप अपनी निजता के अधिकार का सरेंडर कर दें। वकील जयना कोठारी ने कहा था कि हिजाब पर रोक धार्मिक भेदभाव के अलावा लैंगिक भेदभाव भी है।
कोर्ट ने 29 अगस्त को कर्नाटक सरकार को नोटिस जारी किया था। कर्नाटक की दो छात्राओं ने कर्नाटक हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। इस मामले में हिंदू सेना के नेता सुरजीत यादव ने भी कैविएट दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट से हाई कोर्ट के फैसले पर रोक का एकतरफा आदेश न देने की मांग की है। उल्लेखनीय है कि 15 मार्च को कर्नाटक हाई कोर्ट ने हिजाब को इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं कहते हुए शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध के सरकार के निर्णय को बरकरार रखा। हाई कोर्ट के इसी आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है।
हिजाब मामले में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उलेमाओं की संस्था समस्त केरल जमीयतुल उलेमा ने भी याचिका दाखिल की है। इन याचिकाओं में कहा गया है कि कर्नाटक हाई कोर्ट का फैसला इस्लामिक कानून की गलत व्याख्या है। मुस्लिम लड़कियों के लिए परिवार के बाहर सिर और गले को ढक कर रखना अनिवार्य है।