फांसी की अधिकतम सजा वाले मामलों में सजा किन परिस्थितियों में कम की जा सकती है, इसके लिए देशभर की अदालतों के लिए दिशा-निर्देश तय करने पर सुनवाई अब संविधान पीठ करेगी। चीफ जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली बेंच ने खुद इस मामले पर संज्ञान लेते हुए सुनवाई शुरू की।
सुप्रीम कोर्ट चाहता है कि निचली अदालत में दोषी को अपने अपराध की गंभीरता कम करने वाली बातें रखने का मौका मिले, ताकि दुर्लभतम मामलों में ही मौत की सजा दी जाए। कोर्ट ने कहा कि मौत की सजा देने के पहले आरोपित का पक्ष सुनने के मामले पर विरोधाभासी फैसले हैं।
कोर्ट ने कहा कि बच्चन सिंह के मामले में कोर्ट ने कहा है कि 48वें लॉ कमीशन की अनुशंसा के मुताबिक मौत की सजा देने से पहले आरोपित का पक्ष अलग से सुनने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा कि यह जरूरी है कि इस पर स्पष्ट दिशा-निर्देश होना चाहिए कि मौत की सजा देने से पहले आरोपित को अपना पक्ष रखने का पर्याप्त मौका मिले।