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बुद्ध की स्थली कुशीनगर में गूंजी संत कबीर की वाणी

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ताना बाना

वाराणसी के ताना-बाना ग्रुप की प्रस्तुति सुन भावविभोर हुए लोग

गौतम बुद्ध की निर्वाण स्थली कुशीनगर रविवार देर रात सन्त कबीर की वाणी से गूंज उठी। लोगों ने कबीर के भजनों, दोहों, साखी की प्रस्तुति को मन भर सुना। लोग कबीर के काव्य, भक्ति दर्शन व जीवन परिचय से रूबरू हुए।

प्रस्तुति के लिए प्रख्यात न्यूरोलॉजिस्ट प्रो. विजयनाथ मिश्र के सानिध्य में वाराणसी के ताना बाना ग्रुप के सदस्यों का दल देर शाम जनपद पहुंचा था। दल ने महापरिनिर्वाण मन्दिर में स्थित बुद्ध प्रतिमा का पूजन वंदन किया। तत्पश्चात रामाभार स्तुपा परिसर में अपनी संगीतमय प्रस्तुति दी। ”साधो ये मुर्दों का गांव.. की प्रस्तुति सुन लोग भाव विह्वल हो उठे। राम-नाम रस भीनी चदरिया…., पिया घूंघट के पट खोल…., गुरु की करनी गुरु भरेगा चेला की करनी चेला उड़ जा हंस अकेला… आदि प्रस्तुतियों ने लोगों को स्वयं के भीतर विद्यमान ईश्वरीय तत्व से परिचित कराया।

टीम लीडर देवेंद्र दास, डॉ. भागीरथी, डॉ. आनन्द कर्ण, बाबुल कृष्णा व गौरव मिश्र का स्वागत एसएचओ डॉ. आशुतोष तिवारी ने किया। आभार संजय कानोडिया ने किया। अधिशासी अधिकारी प्रेमशंकर गुप्त, बिरला धर्मशाला के प्रबन्धक वीरेंद्र तिवारी, शिक्षक सुमित त्रिपाठी, शुभम दीक्षित, अरविंद तिवारी, नीलेश राव, अम्बिकेश त्रिपाठी श्रोताओं में शामिल रहें।

भाईचारा का संदेश दे रहा ताना बाना ग्रुप

ताना बाना ग्रुप केवल भारत ही नहीं बल्कि नेपाल में भ्रमण कर कबीर की रचनाओं के माध्यम से आपसी प्रेम, सौहार्द्र व भाईचारा कायम करने का संदेश दे रहे हैं। टीम लीडर देवेंद्र दास ने बताया कि सन्त कबीर ने लोगों को ना तो अपने से निम्न समझा ना ही उच्च। उन्होंने केवल अपने गुरु को ही उच्च स्थान दिया था। वे सब को समान मानते थे। उनकी रचनाओं में सदैव समानता का संदेश निहित होता था। उनकी रचनाएं सदैव प्रांसगिक रहेंगी।

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