Search
Close this search box.

कारपोरेट कार्य मंत्रालय ने “छोटी कंपनियों” की चुकता पूंजी की सीमा में संशोधन किया

Share:

कारपोरेट कार्य मंत्रालय ने  कारपोरेट जगत के लिये व्यापार सुगमता और जीवन सुगमता के लिये निकट अतीत में कई उपाय किये हैं। इनमें कंपनी अधिनियम, 2013 और सीमित देयता भागीदारी अधिनियम, 2008 के विभिन्न प्रावधानों को अपराध के वर्ग से निकालना, स्टार्ट-अप में फास्ट-ट्रैक विलय को बढ़ाना, एकल व्यक्ति कंपनियों (ओपीसी) के निगमीकरण को प्रोत्साहन, आदि शामिल हैं। पूर्व में, कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत “छोटी कंपनियों” की परिभाषा चुकता पूंजी की उनकी सीमा को बढ़ाकर संशोधित की गई थी। इस संदर्भ में चुकता पूंजी की सीमा को “50 लाख रुपये से अधिक नहीं” को  “दो करोड़ रुपये से अधिक नहीं” कर दिया गया था। इसी तरह कारोबार को “दो करोड़ रुपये से अधिक नहीं” से बदलकर “20 करोड़ रुपये से अधिक नहीं” कर दिया गया था। इस परिभाषा को अब और संशोधित कर दिया गया है, जिसके अनुसार चुकता पूंजी की सीमा को “दो करोड़ रुपये से अधिक नहीं” से  “चार करोड़ रुपये से अधिक नहीं” कर दिया गया; तथा कारोबार को “20 करोड़ रुपये से अधिक नहीं” से बदलकर “40 करोड़ रुपये से अधिक नहीं” कर दिया गया है।

छोटी कंपनियां लाखों नागरिकों की उद्यमी आकांक्षा और उनकी नवोन्मेषी क्षमताओं का प्रतिनिधित्व करती हैं तथा रचनात्मक रूप से विकास व रोजगार के क्षेत्र में योगदान देती हैं। सरकार हमेशा इस बात के लिये संकल्पित रही है कि कानूनों का पालन करने वाली कंपनियों के लिये अधिक से अधिक व्यापार सहायक माहौल बनाया जाये, जिसमें इन कंपनियों के ऊपर से कानून अनुपालन के बोझ को कम किया जा सके।

छोटी कंपनियों की संशोधित परिभाषा तय करने के परिणामस्वरूप अनुपालन बोझ को कम करने के कुछ लाभ नीचे दिये जा रहे हैं:

  • वित्तीय लेखा-जोखा के अंग के रूप में नकदी प्रवाह का लेखा-जोखा तैयार करने की जरूरत नहीं।
  • संक्षिप्त वार्षिक रिटर्न तैयार और फाइल करने का लाभ।
  • लेखा परीक्षक के अनिवार्य रोटेशन की जरूरत नहीं।
  • छोटी कंपनी के लेखा-परीक्षक के लिये जरूरी नहीं रहा कि वह आंतरिक वित्तीय नियंत्रणों के औचित्य पर रिपोर्ट तथा अपनी रिपोर्ट में वित्तीय नियंत्रण की संचालन क्षमता प्रस्तुत करे।
  • बोर्ड की बैठक वर्ष में केवल दो बार की जा सकती है।
  • कंपनी के वार्षिक रिटर्न पर कंपनी सेक्रटेरी हस्ताक्षर कर सकता है या कंपनी सेक्रेटरी के न होने पर कंपनी का निदेशक हस्ताक्षर कर सकता है।
  • छोटी कंपनियों के लिये कम जुर्माना।

Leave a Comment

voting poll

What does "money" mean to you?
  • Add your answer

latest news