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उपेक्षा से भड़की राजद विधायक विभा ,मंत्री हक्का-बक्का ,बैठक छोड़ बाहर निकल गई डीएम

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बैठक करते मंत्री तथा डीएम

नवादा परिसदन में उस समय अजीबोगरीब स्थिति पैदा हो गई जब अपनी उपेक्षा सेआपा खोये राजद विधायक विभा देवी ने बैठक में घुसकर मंत्री से लेकर डीएम तक को अनाप-शनाप बक दिया ।

राजद कोटे के नवादा जिला प्रभारी मंत्री समीर महासेठ इस घटना से हक्का-बक्का रह गए ।वहीं डीएम उदिता सिंह बैठक छोड़कर निकल गई ।इसे लोग राजद राज के लौटने के परिणाम के रूप में देख रहे हैं ।हालांकि विधायक का कहना है कि वे किसी भी कीमत पर अपनी उपेक्षा बर्दाश्त नहीं कर सकती ।वोल्टेज ड्रामा हुआ। नवादा विधायक विभा देवी काफी कुपित हुई। उन्होंने अपनी खीज अधिकारियों पर उतारी। उस वक्त वहां जिला प्रभारी मंत्री सह उद्योग मंत्री समीर महासेठ भी मौजूद थे।

प्रभारी बनने के बाद मंत्री पहली बार नवादा दौरे पर आए थे। मंत्री और वह भी राजद कोटे के थे। ऐसे में नवादा विधायक विभा देवी अपने भतीजे एमएलसी अशोक यादव और अन्य कार्यकर्ताओं के साथ मंत्री से मिलने और स्वागत करने परिसदन पहुंची थी। मंत्री आए तो परिसदन में अधिकारियों के साथ बैठक में चले गए। इंतजार की घड़ियां लंबी होती चली जा रही थी। विधायक का धैर्य जवाब दे गया। वह विफर गई और मीटिंग हॉल में प्रवेश कर मंत्री के सामने ही अधिकारियों को खरी खोटी सुनाने लगी।

विधायक अपनी उपेक्षा से खासी नाराज थी। गुस्से में लाल पीली होती विधायक ने सभी को झाड़ दी।

आलम ये कि डीएम सहित तमाम अधिकारी वहां से खिसक गए। विधायक ने डीएम उदिता सिंह को ज्यादा टारगेट की।बाद में मंत्री ने विधायक का गुस्सा यह कहकर शांत कराया कि अगली बार आयेंगे तो भोजन इनके यहां ही होगा।

तबतक, विधायक भी कुछ नरम पड़ गई थी। कहा कि मंत्री से कोई शिकायत नहीं है। डीएम द्वारा सब गड़बड़ी की गई है। उन्होंने हमलोगों को देखकर दरवाजा बंद करा दी।

इस प्रसंग पर जब मीडिया वालों ने मंत्री से सवाल किया तो उन्होंने कह कि विधायक की कोई नाराजगी नहीं है। उन्होंने बात को मोड़ते हुए कहा की विपक्ष सरकार को जंगल राज बता रही है। ऐसा है क्या? जिस दिन हम लोगों ने शपथ लिया, उसी दिन से जंगलराज कहा जा रहा है। एक दिन में जंगल राज थोड़े ही आ जाता है। विवाद से जुड़े सवाल का जवाब देते हुए कहा कि बिहार का भविष्य बनाना है। बेहतर चीजों को दिखाइए। लेकिन परिसदन में प्रभारी मंत्री की बैठक में जो भी घटना हुई इससे निश्चित तौर पर मर्यादित लोकतंत्र का कलंक ही कहा जा सकता है ।मंत्री अगर राजद के थे तो निश्चित तौर पर विधायक से मिलने चाहिए था ।अगर ऐसा नहीं हुआ तो शत-प्रतिशत मंत्री को ही दोषी माना जाएगा। डीएम उदिता सिंह मंत्री को विधायक से मिलने पर क्यों जोर देती ।यह किसी डीएम का काम भी नहीं है ।यही वजह था कि डीएम बैठक से निकल कर चली गई।

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